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To Janardan Babu...

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Author: Govind Mishra

Binding: Hardcover

Number Of Pages: 156

Release Date: 12-05-2025

EAN: 9789369443277

Languages: Hindi

"कभी-कभी जनार्दन बाबू को लगता है कि राजनीति का पेशा जिसमें वे हैं, सारी दुनिया को, यहाँ तक कि अपने आप को भी बेवकूफ़ बनाने का पेशा है। ऐसे में उन्हें लगता है कि राजनीति छोड़कर वे एक साधारण जीवन जीने लगें। वे यह कोशिश भी करते हैं, लेकिन बीच कहीं आकर लगता है कि इस तरह तो जो भी उन्होंने अपने जीवन में किया-कराया, उसका नामोनिशान ही मिटा डालेंगे। देश-सेवा को समर्पित एक ईमानदार वरिष्ठ राजनेता, जो अपनी पार्टी की विचारधारा के प्रति हमेशा निष्ठावान रहा...उसे जब उसकी ही पार्टी घर बैठा देती है... तब उसके सामने जीवन का मूलभूत प्रश्न उठ खड़ा होता है-अपने जीवन का उसने क्या किया और अब शेष जीवन का क्या करे। इस द्वन्द्व से जूझते हुए ‘तो जनार्दन बाबू...’ उपन्यास में गोविन्द मिश्र ने अपने लिए फिर नया विषय उठाया है-राजनीति जो वितृष्णा पैदा करती है पर जिससे निजात नहीं। मौजूदा राजनीति का चित्रण करते हुए लेखक तह तक जाता है- क्या हमारे समय में राजनीति का व्याकरण ही बदल गया, क्या उसे स्वच्छ नहीं किया जा सकता, क्या जनार्दन बाबू जो कल तक विशिष्ट व्यक्ति थे, साधारण जीवन जीते हुए भी विशिष्ट नहीं रह सकते, समाज को उनका देय कहाँ है— राजनीति के क्षेत्र में या कहीं बाहर? वर्तमान भारतीय राजनैतिक परिवेश को उठाती एक महत्त्वपूर्ण कृति। "