Suraj Sakura Aur Safar
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Author: Alpana Mishra
Brand: Vani Prakashan
Edition: First Edition
Binding: paperback
Number Of Pages: 130
Release Date: 21-02-2025
Details: यहाँ कई चीज़ें अलग-अलग रंग में थीं, किसी एक जगह पर बहुत सारे मन्नत माँगने वाले कार्ड टॅगे थे। ऐसे कार्ड कई जगहों पर टँगे थे। हज़ारों लोगों ने लाखों मन्नतें माँगी थीं। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती, वे भी धन्यवाद का कार्ड लगा जाते थे। यह बिल्कुल हमारे यहाँ के लोक विश्वासों की पद्धति से मेल खाता था। बहुधा मन्दिरों के परिसर में या किसी पीपल आदि के वृक्ष पर, कहीं-कहीं वट वृक्ष पर भी लाल धागे बाँध कर मन्नत माँगने की परम्परा है। हरिद्वार के मनसा देवी में तो मन्दिर की दीवारें और पेड़, हज़ारों वर्षों से, लाखों-लाख ऐसी मनौतियों के धागों से लिपटे खड़े हैं। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है वे भी धागा बाँधने आते हैं। कोई-कोई अपनी माँगी मन्नत पूरा होने पर धागा खोलने भी आता है। यह स्थान शिमोगामा श्राइन था। इसकी ऊँची छत लाल थी। जबकि कामीगामा श्राइन का पवेलियन गोल्डेन था। इसकी चारों तरफ़ परिक्रमा करने के बाद हमने इसके भव्य और ऊँचे लाल खम्भों वाले गेट के सामने तस्वीरें खिंचवायीं। ये दो लाल खम्भे किसी विशाल द्वार की तरह श्राइन के आगे सुशोभित थे। हज़ारों टूरिस्ट इसके सामने तस्वीरें खिंचवा रहे थे। इन श्राइन का अपना इतिहास था और इसी के साथ अनेक मिथक और परम्पराएँ इनसे जुड़ी हुई थीं। दूसरी विशाल मूर्ति यहाँ लोमड़ी की थी, जो ठीक द्वार पर लगी थी। द्वार के प्रहरी की तरह सजग। लाल तोरी गेट पर विराजमान यह मूर्ति अतिप्रसिद्ध है। ऐसा विश्वास प्रचलित है कि ये लोमड़ी ईश्वर का दूत है, जो ईश्वर का सन्देश लेकर पृथ्वी पर आयी है। जानवर को ईश्वर का सन्देशवाहक मानने की परम्परा हमारे यहाँ भी है। यह ईश्वर और मनुष्य के बीच पुल की तरह जानवर को नहीं देखता बल्कि जानवर और मनुष्य के रिश्ते को भी व्याख्यायित करता है। ईश्वर के दूत को हानि नहीं पहुँचाई जा सकती तो इन जानवरों को आदर प्राप्त हो जाता है। मुझे अच्छा लगा कि हमारे यहाँ भी नागराज कम महत्त्वपूर्ण देव नहीं। उन्हें आदरपूर्वक दूध पिलाने की लोक परम्परा है। उन पर नागपंचमी का त्योहार भी केन्द्रित है। और हमारे आदिवासी इलाक़ों में अलग अलग जानवर देव के रूप में पूजनीय हैं। ये उस क्षेत्र विशेष या क़बीले विशेष के टोटम (Totem) कहलाते हैं। उन जानवरों को मारना निषिद्ध होता है। हमारे यहाँ अनेक पशु-पक्षी ईश्वर के निकट उनकी सेवा में तैनात हैं, सरस्वती के पास हंस है, कार्तिकेय के पास मोर है, लक्ष्मी के पास उलूक है तो गणेश जी के पास सबसे छोटा पर तीव्र धावक चूहा है। प्रकृति, मनुष्य और ईश्वर के ऐसे सम्बन्ध मनुष्यों ने प्रकृति के स्नेह-सन्तुलन और पारिस्थितिकी सन्तुलन के साथ जाने-अनजाने जोड़ लिए हैं। —इसी पुस्तक से
EAN: 9789369449675
Languages: Hindi

