Mukhaute Ka Rajdharam
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Author: Ashutosh
Brand: Vani Prakashan
Features:
- Vani Prakashan Publisher
Binding: paperback
EAN: 9789350729687
Package Dimensions: 8.4 x 5.9 x 0.7 inches
Languages: Hindi
Details: जब सदी करवट लेती है तो अरबों लोग उसके गवाह बनते हैं लेकिन उनमे से चन्द लोग ही उस बदलाव की आहट को महसूस करते हैं। जब वक़्त बदलता है तो बदलते वक़्त को पकड़ने और उसके हिसाब से फैसले लेने वाला ही अपनी अलग पहचान बनाता है क्योंकि बदलाव यकायक नहीं होता है, सालों लग जाते हैं। दिनकर ने कहा भी है कि विद्रोह क्रान्ति या बगावत कोई ऐसी चीज़ नहीं जिसका विस्फोट अचानक होता है। घाव भी फूटने के पहले अनेक काल तक पकते रहते हैं। एक पत्रकार के तौर पर आशुतोष ने देश की राजनीति और समाज में आ रहे बदलाव की आहट को ना केवल सुना बल्कि अपनी लेखनी के माध्यम से उसको देश के विशाल पाठक वर्ग के सामने भी रखा। बदलाव की आहट को भांपने और बदलते वक़्त की नब्ज़ को पकड़ने की आशुतोष की कोशिशों का ही नतीजा है - ‘मुखौटे का राजधर्म’। पत्रकार और सम्पादक के तौर पर आशुतोष ने बहुत बेबाकी और निर्भीकता के साथ अपनी राय रखी। लम्बे समय तक टेलीविज़न में काम करते हुए उनकी भाषा में जो रवानगी दिखाई देती है वह अद्भुत है। राजनीति के लेखों में विश्व सिनेमा से लेकर भारतीय मिथकों का प्रयोग हिन्दी में तो विरले ही दिखाई देता है। यह किताब पाठकों को इक्कीसवीं सदी के भारत के बदलाव को देखने और महसूस करने का अवसर देती है।