Lakh Dukhon ki Ek Dava Dhyan [Hindi]
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Author: OSHO SHAILENDRA
Brand: Oshodhara
Binding: paperback
Number Of Pages: 159
Release Date: 01-03-2013
Details: लाख दुखों की एक दवा- ध्यान करीब 2500 साल पहले भगवान बुद्ध, भगवान महावीर और महर्षि पतंजलि ने ईश्वर-रहित धर्म का प्रवर्तन किया। उनके पहले तक प्रार्थनावादी धर्म प्रचलित थे। इन तीन महान दृष्टाओं ने साधनावादी धर्म के बीज बोए। उनके धर्म का मूल बिंदु है- ध्यान। नेशनल पार्क, चितवन, नेपाल में आयोजित प्रथम ध्यान शिविर में शैलेन्द्र जी ने ध्यान पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा- ध्यान यानी सक्रिय एकाग्रता नहीं, बल्कि निष्क्रिय जागरूकता का नाम है। मुंबई में विराट जनसमूह के बीच साधना के मर्म को समझाया- योग द्वारा तनाव मुक्ति कैसे हो? स्वंतत्रता हेतु अनुशासन की जरूरत क्यों? मन ही स्वर्ग, मन ही नर्क का जन्मदाता है। पतंजलि के अनुसार चार प्रकार के सद्भाव एवं चार तरह के अज्ञान। लाख दुखों की एक दवा है- ध्यान।समस्याएं अनेक हैं, किंतु समाधान एक है- समाधि। सदगुरु ओशो की ध्यान संबंधी दृष्टि को व्यावहारिक रूप से समझने में यह पुस्तक अत्यंत उपयोगी है। जिज्ञासुओं के निम्नलिखित सवालों के बड़े सरल व सरस तरीके से जवाब दिए गए हैं- व्यस्त जीवन में ईश्वर की खोज आधुनिक व्यस्त जीवन में ध्यान कैसे संभव? ईमानदारी पर्याप्त नहीं? क्या ध्यान आवश्यक है? इंसान को भगवान की खोज जरूरी क्यों है? परमात्मा को पाने हेतु समय कहाँ से निकालें? अध्यात्म की रहस्यमयी कुंजी ओशो कौन हैं? उत्तेजना रहित संवेदनशीलता का महत्व। शान्ति में सहानुभूति की कमी क्यों? ओशो की बगिया में आया बसंत क्या साधना हेतु मांसाहार-शराब छोड़ना अनिवार्य है? आनंदित हो रहे लोगों को देखकर आनंद! बुद्धत्व को उपलब्ध स्त्रियां इतनी कम क्यों?
EAN: 9789385200328