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कालिकापुराणम् Kalikapuranam

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Book Detail

  • Title: कालिका पुराण (भाषानुवाद)
  • Author: S. N. Khandelwal
  • Subject: पुराण
  • Edition: 2023
  • Publishing Year: 2023
  • ISBN: 9788121803656
  • Packing: Hard Cover
  • Pages: 1007
  • Dimensions: 20 x 24 x 6 cm
  • Binding: Hard Cover
  • Publisher: (Not Provided)
  • Language: संस्कृत एवं हिंदी

Book Description

कालिका पुराण हिंदू धर्मग्रंथों में एक महत्वपूर्ण उपपुराण के रूप में प्रतिष्ठित है। यह पुराण विशेष रूप से शाक्त संप्रदाय से संबंधित है और इसमें माँ काली एवं दुर्गा उपासना का विस्तार से वर्णन किया गया है।

मुख्य विषयवस्तु:

  1. पुराणों की प्रामाणिकता पर विचार

    • पश्चिमी और भारतीय विद्वानों द्वारा पुराणों की प्रामाणिकता पर भिन्न-भिन्न विचार प्रस्तुत किए गए हैं।
    • कुछ विद्वानों ने पाठभेदों के कारण इनकी प्रामाणिकता पर संदेह जताया, जबकि भारतीय परंपरा में यह सदैव प्रमाणिक मानी गई है
  2. कालिका पुराण की स्थिति और महत्व

    • इसे बारहवां उपपुराण माना गया है, जिसका उल्लेख विभिन्न पुराणों एवं प्राचीन ग्रंथों में मिलता है।
    • कूर्मपुराण, स्कंदपुराण, गरुड़पुराण, पद्मपुराण, वीरमित्रोदय, मधुसूदन सरस्वती के ग्रंथों आदि में इसका प्रमाण मिलता है।
    • यह उपपुराण कामरूप (आधुनिक असम क्षेत्र) के राजा धर्मपाल के काल में रचित माना जाता है (लगभग 1000 ई.)।
  3. कालिका पुराण और शाक्त उपासना

    • इसमें दुर्गा, काली, तारा एवं अन्य शक्तिपीठों का विस्तृत वर्णन है।
    • विभिन्न तांत्रिक क्रियाओं, अनुष्ठानों, यज्ञ-विधियों, एवं पूजा-पद्धतियों का विस्तार से विवरण दिया गया है।
    • यह ग्रंथ शाक्त साधना, देवी उपासना एवं तांत्रिक परंपराओं के अनुसंधानकर्ताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  4. ऐतिहासिक प्रमाण और पांडुलिपियाँ

    • यह ग्रंथ वेंकटेश्वर प्रेस, मुंबई द्वारा मुद्रित किया गया था (93 अध्याय)।
    • इसकी पांडुलिपियाँ गायकवाड़ ओरिएंटल पुस्तकालय (बड़ौदा), इंडिया लाइब्रेरी (लंदन), और बंगला भाषा संस्करणों में भी उपलब्ध हैं।
    • विद्वानों ने ‘Indian Historical Quarterly’ (1956) एवं अन्य शोध पत्रों में इस ग्रंथ की ऐतिहासिक प्रामाणिकता पर विस्तृत चर्चा की है।

पुस्तक की विशेषताएँ:

  • संस्कृत मूल पाठ के साथ हिंदी अनुवाद
  • शाक्त उपासना, तांत्रिक विधियों और देवी पूजा का व्यापक विवेचन
  • पुराणों की ऐतिहासिक प्रामाणिकता पर गहन अध्ययन
  • भारतीय संस्कृति एवं धार्मिक परंपराओं की गहरी समझ
  • शोधार्थियों, जिज्ञासुओं और साधकों के लिए उपयोगी ग्रंथ

किसके लिए उपयुक्त?

  • हिंदू धर्म, वेद-पुराण और तंत्र-साधना के शोधकर्ताओं के लिए
  • शाक्त संप्रदाय, तांत्रिक विधियों और दुर्गा-कालिका उपासना में रुचि रखने वालों के लिए
  • धर्मशास्त्र, भारतीय इतिहास और संस्कृति के विद्यार्थियों के लिए

यह ग्रंथ शाक्त परंपरा, देवी उपासना, और तांत्रिक साधना का एक अनमोल ग्रंथ है, जो भारतीय पुराणों की ऐतिहासिक प्रामाणिकता और धार्मिक परंपराओं को समझने में सहायक है।