Geeta Krishna Ki Sidhant Karma Ka [Hindi]
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Author: Jain, Minakshi
Brand: Diamond Books
Edition: First Edition
Binding: paperback
Number Of Pages: 312
Release Date: 19-06-2021
Details: Product Description
भगवद्गीता से रहस्यमय पुस्तक मैंने आज तक नहीं पढ़ी। मानव जीवन के कितने गूढ़ रहस्य छिपे हैं इसमें। कुछ बाहर से दिखते हैं और बाकी शांत इस बड़े संसार रूपी रहस्यमय वातावरण में असंख्य वायु कणों की भाँति अलोप हैं। गीता पढ़ कर आभास हुआ कि कितना जीवन तो व्यर्थ हो गया। इसका सार समझना केवल कठिन ही नहीं कठिनतम है परंतु उसे आत्मसात करना लगभग असंभव। पर वह मानव ही क्या जो असंभव को सम्भव ना करे। जब मैंने गीता पढ़ी तब लगा कि भाषा को समझने में सुगमता ना होने के कारण लोग गीता पढ़ तो पाते हैं पर समझ नहीं पाते। कदाचित यह भी उस परम्ब्रह्म परमात्मा की कृपा दृष्टि व आदेश था कि मैं गीता का संदेश उन लोगों तक पहुँचाऊँ। मैंने इसका सरलीकरण करने का प्रयास किया है और यह भी प्रयास किया है कि इसे काव्य बद्ध कर पाऊँ जिससे यह याद रह पाए। कर्म के सिद्धांतों को उजागर करती गीता यदि प्रत्येक जन तक पहुंचा पाऊँ तो शायद मेरा लेखन और जीवन दोनों का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा।
About the Author
नई-नई उभरती हुई लेखिका मीनाक्षी जैन, जिनका जन्म 2 फरवरी, 1969 में उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध जिले मुजफ्फरनगर की तहसील जानसठ में हुआ था। मीनाक्षी बचपन से ही प्रतिभाशाली छात्रा थी। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सीबीएसई स्कूलों के माध्यम से ली। उसके पश्चात दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम.ए. की डिग्री ली। बचपन से ही उन्हें पढ़ने का बहुत शौक था। अक्सर वो अपनी छोटी-छोटी कविताएं गुनगुनाया करती थी। बचपन से ही उन्होंने अपने परिवार में धार्मिक माहौल देखा था। समय के साथ उनकी यह रुचि बढ़ती गई और इसका परिणाम यह हुआ कि वे सेवा भावना के साथ भी जुड़ गई। इस सेवा भावना ने उन्हें ईश्वर के और करीब ला दिया। उनका कृष्ण के प्रति मोह बार-बार इन्हें श्री भगवद्गीता पढ़ने को प्रोत्साहित करता, परन्तु भाषा के क्लिष्ट होने के कारण कई बार अध्याय को पढ़ना पड़ता था। इन्हीं सब कारणों ने इन्हें श्री भगवद्गीता को सरल शब्दों में लिखने को प्रेरित किया ताकि वह जनमानस को आसानी से आत्मसात हो सके।.
EAN: 9789390960156
Package Dimensions: 8.5 x 5.4 x 0.9 inches
Languages: Hindi