👨‍💼 CUSTOMER CARE NO +918468865271

⭐ TOP RATED SELLER ON AMAZON, FLIPKART, EBAY & WALMART

🏆 TRUSTED FOR 10+ YEARS

  • From India to the World — Discover Our Global Stores

🚚 Extra 10% + Free Shipping? Yes, Please!

Shop above ₹5000 and save 10% instantly—on us!

THANKYOU10

Antrangta Ki Bheetari Parten

Sale price Rs.277.00 Regular price Rs.395.00
Tax included


Genuine Products Guarantee

We guarantee 100% genuine products, and if proven otherwise, we will compensate you with 10 times the product's cost.

Delivery and Shipping

Products are generally ready for dispatch within 1 day and typically reach you in 3 to 5 days.

Get 100% refund on non-delivery or defects

On Prepaid Orders

Author: Dr. Jasvindar Kaur Bindra

Brand: Vani Prakashan

Edition: First Edition

Features:

  • Vani Prakashan

Binding: hardcover

Number Of Pages: 192

Release Date: 01-12-2015

EAN: 9789350008089

Package Dimensions: 9.1 x 6.6 x 1.1 inches

Languages: Hindi

Details: सम्बन्धों का नाम ही समाज है। समाज से आगे फिर यह सिलसिला चलता ही जाता है। समाज, देश से बढ़ते अन्तर्देशीय होते हुए ही आज सारी दुनिया ‘ग्लोबल विलेज' में तब्दील हो गयी है। देखा जाये तो, सम्बन्ध ही सृष्टि का मूल है, लगातार जारी सम्बन्धों, रिश्ते-नातों का अनवरत सिलसिला जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी मनुष्यों को आपस में जोड़ता है। मगर यह अन्तरंग सम्बन्ध.....? ज़ाहिर-सी बात है, आदम-हव्वा के पहले ‘अन्तरंग सम्बन्ध' ने ही इस सृष्टि का आगाज़ किया, इसलिए जब भी सम्बन्धों की बात की जाती है तो पहला सम्बन्ध आदिम स्त्री-पुरुष का ही स्वीकार किया जाता है। यह सम्बन्ध न सिर्फ़ मानव-जाति का आरम्भ है बल्कि जीवन के नैसर्गिक सुख का शिखर भी है। स्त्री-पुरुष में शारीरिक मिलन को कई तरह से परिभाषित किया गया है, जिसमें इसे चरमोत्कर्ष आनन्द की प्राप्ति भी कहा गया है, जिसमें असीम सुख में पलों के पश्चात् एक शून्य, एक अनन्तता का अहसास भी होता है, जो मनुष्य को विराटता से जोड़ देने की भी असीम क्षमता रखता है। -डॉ. जसविन्दर कौर बिन्द्रा