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Seppuku

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Author: Vinod Bhardwaj

Brand: Vani Prakashan

Edition: First Edition

Features:

  • Vani Prakashan

Binding: hardcover

Number Of Pages: 102

Release Date: 01-01-2014

Details: Seppuku

EAN: 9789350726006

Package Dimensions: 8.8 x 5.1 x 0.5 inches

Languages: Hindi

सेप्पुकु - 
भारतीय कला की दुनिया में गरिमा, ग्लैमर, ग़रीबी, अश्लील अमीरी, संघर्ष, भ्रष्टाचार, ईमानदारी, धोखाधड़ी सभी कुछ लगभग अतियथार्थवादी शैली में मौजूद है। सुपरिचित कवि-लेखक, फ़िल्म और कला समीक्षक विनोद भारद्वाज पिछले चार दशकों से इस दुनिया के अन्तरंग गवाह और हिस्सेदार एक साथ हैं। पिछले कुछ सालों से वह इस दुनिया के पात्रों, घटनाओं, प्रसंगों आदि पर आधारित उपन्यास 'सेप्पुकु' लिख रहे थे। ग्यारह अध्यायों के इस लघु उपन्यास में कला की दुनिया का ‘अंडरग्राउंड' भी एक ख़ास तरह से मौजूद है। कला बाज़ार की अश्लील अमीरी ने उसे एक समय लगभग माफिया का रूप भी दे दिया था। इस दुनिया में एक ओर कलाकार का सच्चा, ईमानदार संघर्ष है और दूसरी ओर पैसे, सेक्स और भ्रष्टाचार का अद्वितीय घालमेल भी है। 'सेप्पुक' जापानी सामुराई योद्धा की त्रासद नियति है पर उसमें बाक़ायदा एक कर्मकांड, दर्शन, कविता भी छिपी हुई है। आधुनिक 'कार्पोरेट' दुनिया जब 'सेप्पुकु' (या खास तरह की आत्महत्या) करती है तो उसके कई बड़े सामाजिक-आर्थिक नतीजे सामने आते हैं। कला की दुनिया में भी इस तरह के 'सेप्पुकु' को पहचाना, जाना और जाँचा जा सकता है। विनोद भारद्वाज ने एक प्रयोगधर्मी तकनीक का इस्तेमाल करके विभिन्न पात्रों, घटनाओं, स्थितियों को एक-दूसरे से जोड़ा है। पिछले तीस सालों की कला दुनिया में कहानी किसी भी काल में आती-जाती रहती है। उपन्यास का अन्तिम अध्याय एक 'थ्रिलर' शैली में है।