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Book Details

  • Author: S.L. Doshi

  • Publisher: Rawat Publications

  • Language: Hindi

  • Edition: 2009

  • ISBN: 9788131602706

  • Binding: Paperback

  • Package Dimensions: 8.4 x 5.5 x 0.9 inches

About the Book
यह पुस्तक भारतीय मानवशास्त्र पर एक महत्त्वपूर्ण कृति है, जो विशेष रूप से भारतीय जनजातियों और उनके सामाजिक संरचनाओं की गहरी समझ प्रदान करती है। हिंदी में इस विषय पर उपलब्ध पुस्तकों की कमी को देखते हुए, यह पुस्तक भारतीय मानवशास्त्र को वैश्विक संदर्भ में रखकर विश्लेषित करती है। यह पारंपरिक यूरोपीय दृष्टिकोणों से परे जाकर भारतीय समाज की वास्तविकता को सामने लाती है।

लेखक एस.एल. दोषी ने भारतीय जनजातियों की स्थिति का विस्तृत विवरण किया है और उनके जंगल, पहाड़, खेती, और व्यावसायिक विविधताओं के साथ सरोकार को स्पष्ट किया है। इस पुस्तक में भौतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानवशास्त्र को भी सम्मिलित किया गया है, जो इसे व्यापक बनाता है।

इस पुस्तक में आदिवासी जीवन और उनकी समस्याओं, जैसे कि आदिवासी जनसंख्या, संवैधानिक सुरक्षा, जेण्डर समस्याएँ, आदिवासी आंदोलनों, और राष्ट्रीय आदिवासी नीति पर विस्तार से चर्चा की गई है। यह पुस्तक न केवल प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयुक्त है, बल्कि यह सामाजिक कार्यकर्ताओं, शोधकर्ताओं और समाजशास्त्रियों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका है।

Contents

  • मानवशास्त्र का पूर्वावलोकन

  • मानवशास्त्र का अर्थ और परिभाषा

  • मानवशास्त्र और अन्य समाज विज्ञान

  • सामाजिक मानवशास्त्र का अध्ययन

  • मानवशास्त्र की अध्ययन विधियाँ

  • प्राइमेट (नरवानरगण)

  • प्रजाति और प्रजाति वर्गीकरण

  • प्रजातिवाद

  • संस्कृति और समाज

  • संस्कृति संवर्धन के सिद्धान्त

  • सामाजिक संरचना और संरचनावाद

  • आदिम अर्थव्यवस्था

  • आदिम राजनीतिक व्यवस्था

  • परिवार

  • विवाह

  • नातेदारी

  • गोत्र

  • जादू, धर्म और अनुष्ठान

  • जनजाति किसे कहते हैं?

  • जंगल और जमीन

  • आदिवासी विकास की रणनीति

  • आदिवासी जनसंख्या और भारत के प्रमुख आदिवासी

  • आदिवासियों को संवैधानिक सुरक्षा

  • आदिवासी समाज में जेण्डर समस्या

  • आदिवासियों के आन्दोलन

  • राष्ट्रीय आदिवासी नीति

  • जनजातियाँः समस्याएँ और समाधान

  • बदलता आदिवासी भारत

  • सार्वभौमीकरण और आदिवासी

About the Author / Editor
एस.एल. दोषी ने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर; महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक तथा दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय, सूरत में अध्यापन कार्य किया है। वे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं और आदिवासियों, आधुनिकीकरण, और उत्तर-आधुनिकीकरण पर हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में कई कृतियाँ लिख चुके हैं।