Samkaleen Manavshastra (Contemporary Anthropology)
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Book Details
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Author: S. L. Doshi
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Publisher: Rawat Publications
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Language: Hindi
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Edition: 2009
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ISBN: 9788131602690
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Pages: 544
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Cover: Hardcover
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Dimensions: 8.7 x 5.7 x 1.3 inches
About the Book
भारतीय मानवशास्त्र पर यह एक व्यापक और प्रामाणिक पुस्तक है, जो हिंदी में इस विषय के अभाव को दूर करती है। अधिकांश उपलब्ध पुस्तकें यूरोपीय मानवशास्त्र पर आधारित पारंपरिक दृष्टिकोण रखती हैं, जो आदिवासियों की संस्कृति को रोमानी दृष्टि से प्रस्तुत करती हैं, लेकिन उनकी वास्तविक सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों की उपेक्षा करती हैं।
लेखक एस.एल. दोषी ने इस पारंपरिक दृष्टिकोण को खारिज करते हुए मानवशास्त्र को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज और संस्कृति से जोड़कर प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक में संरचनावाद, पूंजीवाद, और संस्कृति जैसे सिद्धांतों का भारतीय संदर्भों में गहन विश्लेषण किया गया है। विशेष रूप से इसमें भारतीय जनजातियों की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक स्थिति का विस्तृत विवरण दिया गया है, जिसमें उनके जंगल, जमीन, खेती और आजीविका से संबंधों को स्पष्ट किया गया है।
यह पुस्तक भौतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मानवशास्त्र के सभी पहलुओं को समेटे हुए है और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं, शोधार्थियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और समाजशास्त्र के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है। यह पहली हिंदी पुस्तक है जो मानवशास्त्र की सार्वभौमिकता को भारत के आदिवासी जीवन और गाँवों के साथ जोड़ती है।
Contents
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मानवशास्त्र का पूर्वावलोकन
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मानवशास्त्र का अर्थ और परिभाषा
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मानवशास्त्र और अन्य समाज विज्ञान
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सामाजिक मानवशास्त्र का अध्ययन
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मानवशास्त्र की अध्ययन विधियाँ
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प्राइमेट (नरवानरगण)
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प्रजाति और प्रजाति वर्गीकरण
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प्रजातिवाद
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संस्कृति और समाज
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संस्कृति संवर्धन के सिद्धान्त
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सामाजिक संरचना और संरचनावाद
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आदिम अर्थव्यवस्था
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आदिम राजनीतिक व्यवस्था
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परिवार, विवाह और नातेदारी
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गोत्र, जादू, धर्म और अनुष्ठान
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जनजाति किसे कहते हैं?
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जंगल और जमीन
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आदिवासी विकास की रणनीति
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भारत के प्रमुख आदिवासी और जनसंख्या
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संवैधानिक सुरक्षा और जनजातीय आंदोलन
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आदिवासी समाज में जेंडर समस्या
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राष्ट्रीय आदिवासी नीति और समाधान
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बदलता आदिवासी भारत
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सार्वभौमीकरण और आदिवासी
About the Author
एस.एल. दोषी ने मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (उदयपुर), महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (रोहतक), और दक्षिण गुजरात विश्वविद्यालय (सूरत) में अध्यापन कार्य किया है। वे आदिवासी समाज, आधुनिकीकरण और उत्तर-आधुनिकीकरण पर हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में प्रतिष्ठित लेखक हैं। उनका योगदान समाजशास्त्र और मानवशास्त्र के क्षेत्र में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।