Rashtraneta: Dr. B.R. Ambedkar
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Author: Nitish Vishwas
Brand: Vani Prakashan
Edition: 2nd
Features:
- Vani Prakashan
Binding: hardcover
Number Of Pages: 82
Release Date: 17-02-2024
Details: इस देश में सैकड़ों शताब्दियों से जो लोग असम्मान के बोझ से दबे-पिसे, दमित; गुलामी से मलिन-जर्जर, अपमानित, मंत्रहीन हैं, उन्हीं सब शूद्र और अतिशूद्रों के मूढ़, म्लान, मूक दर्द के अंतहीन अंधेरे के दामन में, एक अन्त्यज महार समाज में-बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने जन्म लिया था। डॉ. बी.आर. अंबेडकर ! उनके समूचे तन-बदन पर जन्मजात् काले-नीले दर्द के धब्बे ! भारतीय जाति-प्रथा की ज़हरभरी यन्त्रणा के सियाह निशान् इस देश में चूंकि उन्होंने दलित समाज में जन्म लिया था इसलिए वे अछूत, उपेक्षित और हेय थे। भारतवर्ष वर्णाश्रम धर्म की क्लेदभरी नर्कभूमि है। यहाँ शूद्र जन्म से ही सेवादास, वर्णदास या श्रमदास होते हैं। क्रीतदास के विरुद्ध, बगावत का शंख फूंकनेवाले महान नेता, स्पार्टाकस की तरह ही डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने भी भारत में अन्त्यज-दास समाज के हाथों में, जागरण और उन्नयन की पताका थकाकर कहा- 'तुम लोग स्वयं, अपने हाथों से इस दासत्व को खत्म करो। इसके लिए किसी भगवान या अतिमानव पर निर्भर मत करो। किसी तीर्थयात्रा के पुण्य या धार्मिक व्रत-उपवास के जरिये तुम्हें मुक्ति कदापि नहीं मिलेगी। राजनैतिक क्षमता ही तुम्हें मुक्ति दिलायेगी। कोई भी धर्मशास्त्र, तुम्हारी गुलामी, अनाहार और दरिद्रता दूर नहीं कर सकता। इसके लिए, ओ दलितों, कानून-संगत अधिकार दखल करो ।' - इसी पुस्तक से
EAN: 9788181430571
Package Dimensions: 8.9 x 5.7 x 0.4 inches
Languages: Hindi, English


