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Kavita Ki Maati

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Author: Ananjay Tiwary

Brand: Vani Prakashan

Edition: First Edition

Binding: hardcover

Number Of Pages: 148

Release Date: 30-04-2025

Details: कविता मानव-मन के अन्तस का उद्गार है, उद्गार जो स्वयं से भी कभी बूझ, कभी अबूझ रहता है। न जाने चेतना के किस धरातल में विचारों के असंख्य बीज होते हैं जो किसी विशेष परिस्थिति में जीवन-रवि की मधुर रश्मि का स्पर्श पाकर काव्य-रूप में अंकुरित हो जाते हैं। महर्षि वाल्मीकि के अन्तर्मन में भी वो बीज कहीं गहरे में ही रहा होगा जो क्रौंच-युगल में से नर क्रौंच का शर-बिंध-शोणित मृत देह देखकर अन्तःकरुणा में निमग्न आदि-काव्य के अंकुर के रूप में प्रस्फुटित हुआ। कविता के आदि-प्रवाह की वही सूक्ष्म धारा, अनादि काल से हर मानव-मन की करुणा के अन्तःस्राव से संवर्द्धित हो विशाल अविरल भागीरथी के रूप में प्रवाहमान है। इसी क्रम में काव्य की एक क्षुद्र धारा जो कविता की माटी के नाम से निर्गत हुई है वो इस विशाल काव्य परम्परा को समर्पित है।कविता की माटी यह संकलन, शब्दों की मिट्टी को अगणित मनोभावों से अभिसिंचित कर हृदय-चाक पर उस अदृश्य कुम्हार द्वारा सृजित किन्तु इस कवि के नाम से जग के समक्ष एक प्रस्तुति है। प्रकृति के सजीव और निर्जीव तत्त्वों का सहज मानवीकरण और उनके माध्यम से सुख-दुःख की मानवीय अभिव्यक्ति और अनुभूति ही इस प्रस्तुति की मूल चेतना है। सृजन अपने निर्माण का मूल तत्त्व अपने अन्दर धारण किये होता है। जैसे मिट्टी से जो भी बना, उसमें उस मिट्टी के गुण-अवगुण विद्यमान होते हैं, उसी भाँति जिन विचारों और मनोभावों से यह संकलन सृजित है, वो उसमें प्रस्तुत कविताओं के प्रवाह में अन्तर्निहित हैं। उसी मिट्टी से जुड़कर पाठक अपने मन की गहरी जड़ों तक जा सकें और उनके कारुण्य का अन्तःस्राव संवेदना, काव्य और अभिव्यक्ति की अनादि धारा को सम्पुष्ट करे, यही अपेक्षा है।

EAN: 9789369440436

Package Dimensions: 8.8 x 5.8 x 0.7 inches

Languages: Hindi