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Book Details

  • Publisher: Vani Prakashan

  • Author: Rameshdatt Dubey

  • Language: Hindi

  • Edition: 2019 (assumed from ISBN series, please confirm)

  • ISBN: 9789389012961

  • Cover: Paperback


About the Book

भारतीय आधुनिकता के मूर्धन्य चित्रकार सैयद हैदर रज़ा केवल एक महान कलाकार ही नहीं, बल्कि कविता और विचारों के प्रति भी गहरी संवेदनशीलता रखते थे। हिन्दी को उन्होंने अपनी आत्मा की भाषा माना और जीवन के उत्तरार्द्ध में उनके अधिकांश चित्रों के शीर्षक हिन्दी में ही होते थे। उनकी इच्छा थी कि हिन्दी भाषा में कलाओं और विचार पर अच्छे ग्रंथ उपलब्ध हों। रज़ा फ़ाउंडेशन ने इस भावना का सम्मान करते हुए ‘रज़ा पुस्तक माला’ की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत यह पुस्तक प्रकाशित की गई है।

इस कृति के लेखक रमेशदत्त दुबे (31 मार्च 1940 – 23 दिसम्बर 2013) हिन्दी साहित्य के एक महत्वपूर्ण नाम हैं। उनका जन्म और शिक्षा सागर (म.प्र.) में हुई। उन्होंने कविता, कहानी, निबंध, बालगीत, समीक्षा और लोक साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान दिया। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं:

  • पृथ्वी का टुकड़ा और गाँव का कोई इतिहास नहीं होता (कविता संग्रह)

  • पावन मोरे घर आयो (कहानी संग्रह)

  • पिरथवी भारी है (बुन्देली लोककथाओं का पुनर्लेखन)

  • कहनात (बुन्देली लोकोक्तियाँ और कहावतों का कोश)

  • अब्बक-दब्बक (बालगीत संग्रह)

  • साम्प्रदायिकता (विचार पुस्तिका)

साथ ही उन्होंने मुस्लिम भक्त कवियों का सांस्कृतिक समन्वय तथा ख़ाली आसमान के लिए जैसे महत्त्वपूर्ण संकलनों का सम्पादन-सहयोग भी किया। उनकी रचनाएँ और संपादन कार्य कल्पना, लहर, ज्ञानोदय, पूर्वग्रह, समवेत, वागर्थ, वसुधा, परिवेश, नई दुनिया, जनसत्ता जैसी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए।

यह पुस्तक न केवल रज़ा के कला-दर्शन और विचारों की झलक प्रस्तुत करती है, बल्कि हिन्दी साहित्य और संस्कृति की विविधता का भी गहन परिचय कराती है। यह कला और साहित्य-प्रेमियों के लिए संग्रहणीय कृति है।