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Book Details

  • Author: Premchand

  • Publisher: Vani Prakashan

  • Language: Hindi

  • ISBN: 9788126320678

  • Cover: Hardcover

About the Book
'दुर्गादास' उपन्यास-सम्राट् प्रेमचन्द द्वारा रचित एक ऐतिहासिक उपन्यास है। यह मूलतः उर्दू लिपि में लिखा गया था, जिसे बाद में हिन्दी में लिप्यन्तरण करके 1915 में प्रकाशित किया गया। यह उपन्यास राजपूत योद्धा दुर्गादास के साहस, राष्ट्रभक्ति और संघर्षपूर्ण जीवन की अद्भुत गाथा प्रस्तुत करता है।

प्रेमचन्द स्वयं कहते हैं:
"राजपूताना में बड़े-बड़े शूर-वीर हो गये हैं। उस मरुभूमि ने कितने ही नर-रत्नों को जन्म दिया है; पर वीर दुर्गादास अपने अनुपम आत्म-त्याग, अपनी निःस्वार्थ सेवा-भक्ति और अपने उज्ज्वल चरित्र के लिए कोहनूर के समान हैं।"

यह पुस्तक केवल ऐतिहासिक संदर्भों में नहीं, बल्कि वीरता, नैतिकता और आदर्श चरित्र की झलक देने वाली दुर्लभ कृति है।

About the Author
प्रेमचन्द (1880–1936) का जन्म बनारस के निकट लमही गाँव में हुआ था। बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने उर्दू में 'नवाब राय' नाम से लेखन शुरू किया। उनके पहले उर्दू कहानी संग्रह 'सोजेवतन' को 1910 में प्रकाशित किया गया, जिसे ब्रिटिश सरकार ने ज़ब्त करवा लिया। इसके बाद उन्होंने हिन्दी भाषा को अपना लेखन माध्यम बनाया और 'प्रेमचन्द' नाम से अमर साहित्य रचा।

उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर स्वतंत्र लेखन और प्रकाशन के क्षेत्र में सक्रिय योगदान दिया। प्रेमचन्द ने लगभग तीन सौ कहानियाँ, अनेक उपन्यास और वैचारिक निबन्ध लिखे। उनके प्रसिद्ध उपन्यासों में 'गोदान', 'सेवासदन', 'कर्मभूमि', 'निर्मला' और 'रंगभूमि' शामिल हैं।