भारत में असमानताओं के विविध आयाम (Bharat Mein Asamantaon Ke Vividh Aayam) (Reader-2)
भारत में असमानताओं के विविध आयाम (Bharat Mein Asamantaon Ke Vividh Aayam) (Reader-2) is backordered and will ship as soon as it is back in stock.
Couldn't load pickup availability
                    
                      
Genuine Products Guarantee
                      
                    
                  
                  Genuine Products Guarantee
We guarantee 100% genuine products, and if proven otherwise, we will compensate you with 10 times the product's cost.
                    
                      
Delivery and Shipping
                      
                    
                  
                  Delivery and Shipping
Products are generally ready for dispatch within 1 day and typically reach you in 3 to 5 days.
Book Details:
- 
ISBN: 9788131614501 
- 
Publisher: Rawat Publications 
- 
Publication Year: 2025 
- 
Pages: 244 pages 
- 
Binding: Paperback 
About the Book
आज के संदर्भ में असमानता एक अहम मुद्दे के रूप में उभरी है। राष्ट्रों, क्षेत्रों, कौमों और व्यक्तियों के बीच असमानताओं के बदलते संदर्भ पर न सिर्फ विचार हो रहा है वरन् कई प्रकार के तथ्य आधारित शोध भी विमर्श को समृद्ध कर रहे हैं।
‘भारतीय विषमताओं के विविध आयाम’ भारत की विभिन्न विषमताओं पर चार खण्ड़ों में 23 लेखों के माध्यम से चर्चा करता है। संकलन भारतीय समाज में उपस्थित समूहगत असमानताओं का विश्लेषण और स्वतंत्रता के बाद की कोशिशों का आकलन है। वैसे तो विभेद, असमानता, घौर विपन्नता और इसके दबाव में पीढ़ियों तक चलते रहने से उबरने के उपलब्ध मौके बहुत कम रहे हैं, फिर भी कालांतर में गैर-बराबरी के रूप व उसकी गहनता में फर्क आया है। संकलन के पहले खण्ड में विषमताओं के भारतीय संदर्भ को आठ लेखों में प्रस्तुत व विश्लेषित किया गया है। इनमें विषमता के मुख्य पहलू और उनके आधारों व भारत में स्वतंत्रता के बाद गैर-बराबरी दूर करने के नीतिगत प्रयासों और उनकी सीमाओं की व्याख्या है। दूसरे खण्ड़ के सात लेख शिक्षा के विकास, लोकतंत्र और इन सबके गैर-बराबरी से संबंधों पर केन्द्रित हैं। खण्ड़ तीन, भारत में कुछ समुदायों को बहुसंख्यक समाज से अलग माने जाने के बारे में और इनमें से एक समुदाय के भीतर की जेंडर असमानता के बारे में है। लेख बंधुता के आदर्श की विपरीत दिशा में जा रही यात्रा का जिक्र करते हैं तथा सामुदायिक हिंसा एवं प्रार्थना की स्वतंत्रता के संदर्भ में आ रहे सामाजिक परिवर्तनों पर भी चर्चा करते हैं। संकलन के अंतिम खण्ड चार के लेख भारत में गैर-बराबरी की समस्या का चित्रण कर उनसे निपटने के प्रयासों और क्रियान्वयन में आने वाली समस्याओं, सीमाओं व सम्भावनाओं पर चर्चा करते हैं। विकास और विस्थापन पर विचार से यह स्पष्ट हो जाता है कि जो समूह सामाजिक और आर्थिक वंचनाओं को झेल रहे हैं, वे ही विकास के लिये विस्थापन के शिकार होते रहे हैं।
Contents:
खण्ड - 1
विषमताओं के भारतीय संदर्भ
- 
गैर-बराबरी की अदृश्य पाठषाला: कर्मफल का सिद्धान्त - नन्द चतुर्वेदी 
- 
निर्बलों के लिए भेदभाव - पी. साईनाथ 
- 
मैं बौद्ध क्यों बना? - भीमराव अम्बेडकर 
- 
नई सदी, संरचना और सामाजिक सरोकार - नरेष भार्गव 
- 
सामाजिक न्याय हेतु जरूरी है आरक्षण - रामषिवमूर्ति यादव 
- 
आरक्षण: एक वैकल्पिक प्रस्ताव - सतीष देषपाण्डे एवं योगेन्द्र यादव 
- 
नस्ल के आईने में जाति का अक्स - धीरूभाई सेठ 
- 
केन्द्र द्वारा नियोजित असमानताएँ - मोहन गुरुस्वामी 
खण्ड - 2
भारतीय असमानताएँ: शिक्षा के संदर्भ
9. भारत में उच्च षिक्षा: गुणवत्ता, सुगमता तथा भागीदारी से जुड़े मुद्दे - सुखदेव थोरात
10. सबके लिए षिक्षा: रास्ते की चुनौतियाँ - हृदय कान्त दीवान
11. सामाजिक स्तरीकरण पर षिक्षा के निजीकरण के प्रभाव - अमन मदान
12. षिक्षा के लिए प्रतिबद्धता: क्या हम असफल हो रहे हैं? - हृदय कान्त दीवान
13. भारत की प्राथमिक षिक्षा में सामाजिक असमानताएँ - मधुमिता बन्दोपाध्याय
14. शैक्षिककरण से बहिष्कृत सड़क के बच्चे और कार्यरत बच्चे - सुष्मिता चटर्जी
15. जाति और षिक्षा में चुनौतियाँ - पी.एस. कृष्णन
खण्ड - 3
भारतीय असमानताएँ और अल्पसंख्यक
16. वंचित होने की क्रूर विरासत - हर्ष मन्दर
17. मुस्लिम राजनीतिक विमर्श: एक टिप्पणी - हिलाल अहमद
18. मुस्लिम समाज और महिलाएँ - जेनब बानू
19. इज्तिहाद, तलाक और मुसलमान औरतें: भीतर से सुधार की सम्भावनाएँ - अमरीन
खण्ड - 4
विषमताओं के विविध प्रसंग
20. सामाजिक परिवर्तन के तनाव और संकट - नरेष भार्गव
21. भारतीय सामाजिक पुनर्रचना: समस्याएँ एवं सम्भावनाएँ - रामगोपाल सिंह
22. भोजन का अधिकार: दक्षिण राजस्थान में घूघरी योजना का विष्लेषण - मनोज लोढ़ा
23. भारत की विकास परियोजनाओं में विस्थापन - फरीदा शाह एवं पंकज शर्मा
24. विस्थापन: व्याख्या और महिलाओं से जुड़े प्रष्न - अरुण चतुर्वेदी
About the Author / Editor:
हृदय कान्त दीवान शिक्षा व समाज के अंतर्संबंध के क्षेत्र में कार्यरत हैं। वे एकलव्य फाउंडेशन (मध्य प्रदेश) के संस्थापक सदस्य थे और विद्या भवन सोसायटी (राजस्थान) और अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय (बेंगलूरु) के साथ काम कर चुके हैं। वे शिक्षा प्रणाली में सामग्री और कार्यक्रमों के विकास और शिक्षा में अनुसंधान में सक्रिय हैं।
संजय लोढ़ा, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत्त आचार्य। वर्तमान में जयपुर स्थित विकास अध्ययन संस्थान में भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध परिषद् के वरिष्ठ फैलो के रूप में संबद्ध।
अरुण चतुर्वेदी, वरिष्ठ राजनीति शास्त्री एवं मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर से राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत्त आचार्य।
मनोज राजगुरु, विद्या भवन रूरल इंस्टीट्यूट, उदयपुर में राजनीति विज्ञान के सह आचार्य।
 
            
 
       
         

