Product Details:
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Pages: 40
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Language: Hindi
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Brand: Suruchi Prakashan
About the Book:
यह पुस्तक संघ संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के जीवन और कार्यों पर आधारित है। डॉ. हेडगेवार के हृदय में देश की पराधीनता की पीड़ा बचपन से ही इतनी प्रखर थी कि उन्होंने बहुत जल्द से ही देश को स्वतंत्र कराने के अथक प्रयासों में जुट जाना शुरू कर दिया था। वे नागपुर में 'स्वदेश बंधव' के बाद बंगाल की 'अनुशीलन समिति' जैसी क्रांतिकारी संस्थाओं के सदस्य बने। इसके साथ ही वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी रहे, जिन्होंने 1921 और 1931 के असहयोग और अवज्ञा आंदोलनों में भाग लिया और कारावास गए।
डॉ. हेडगेवार का चिंतन और दृष्टिकोण उनके समकालीन नेताओं से अधिक व्यापक, मौलिक और परिपक्व था। जहां कांग्रेस के नेता 1921 के लाहौर अधिवेशन से पहले औपनिवेशिक स्वराज्य की बात करते थे, वहीं डॉ. हेडगेवार और सुभाष चंद्र बोस ने पूर्ण स्वराज्य की बात उठाई। इस पुस्तक का मुख्य आकर्षण डॉ. हेडगेवार द्वारा 1935 में पुणे में तरुण स्वयंसेवकों के समक्ष दिया गया उनका भाषण है, जो उनके मौलिक चिंतन और दूरदृष्टि को प्रदर्शित करता है। यह भाषण प्रेरणा का एक अद्भुत स्रोत है।

