Mantra Tantra Yantra Aur Rudraksh Dwara Kashto Ka Nivaran [Hindi]
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Author: Jai Prakash Sharma (Lal Dhage Wale)
Brand: Indica Publishers
Edition: First Edition
Binding: Paperback
Number Of Pages: 160
Release Date: 01-12-2010
Details: समस्त वर्ण अक्षर, मातृका को ‘मंत्र’ एवं इसके संयोग-वियोग तथा साधना की क्रिया को तंत्र कहते हैं। संस्कृत शब्दकोश के अनुसार अति मानव शक्ति प्राप्त करने के लिए, शीघ्र ही फलीभूत होने वाली क्रिया तंत्र कहलाती है। तंत्र में मंत्र साधना प्रमुख है, मंत्रों द्वारा साधना प्रक्रिया का पूर्णरूप से द्विव्य प्रतिपादन किया जाता है तथा मानव जाति को सभी प्रकार के भयो से छुटकारा दिलाने के लिए तंत्र का उपयोग किया जाता है। तंत्र-मंत्र एवं यंत्र तीनों ही एक प्रकार से एक दूसरे के पूरक हैं। तंत्र द्वारा जो कार्य किया जाता है वह मंत्र द्वारा, यंत्र का आधार लेकर किया जाता है। यंत्र को प्रत्यक्ष रूप में सिद्ध करके दूसरी को दिया जा सकता है जबकि तंत्र या मंत्र को प्रत्यक्ष रूप में नहीं दिया जाता है। यंत्र की परिभाषा क्या है? यं+अच=जो नियंत्रण करता हैं उसे यंत्र कहते है। एक रहस्यमय रेखाचित्र को भी संस्कृत (शब्दकोश के अनुसार) यंत्र कहा जाता है।
मंत्र देवताओं के मन का कारक है, यंत्र देवताओं का विग्रह है। जिस प्रकार शरीर एवं आत्मा में संबंध होता है, उसी प्रकार मंत्र एवं यंत्र में आपसी भेद नहीं होता (यंत्र की पूजा किए बिना देवता प्रसन्न नहीं होते) अत: देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उसके मंत्र की पूजा करनी चाहिए। प्रत्येक अक्षर अथवा शब्द का जन्म तो होता है, परंतु उसका विलय नहीं होता। इसलिए शब्द को ब्रह्म माना गया है, यदि यही अक्षर शुद्ध सात्विक तथा धर्म एवं अध्यात्म से जुड़े हो, तो ये अक्षर अथवा शब्द अंक बनकर ब्रह्मांड में अमरता प्राप्त करके, युगों-युगों पर्यंत अपना प्रभाव संपूर्ण विश्व को प्रदान करते हैं।
- प्रदीप कुमार
EAN: 9788177273014
Package Dimensions: 8.7 x 5.5 x 0.8 inches
Languages: hindi