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Uchchtar Samajshastra Visvakosh (Advanced Encyclopaedia Of Sociology)

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Book Details

  • Publisher: Rawat Publications

  • Author: Harikrishan Rawat

  • Language: Hindi

  • ISBN: 8170339634

  • Pages: 570

  • Cover: Hardcover

  • Dimensions: 9.9 x 6.7 x 1.3 inches

About the Book
प्रस्तुत उच्चतर समाजशास्त्र विश्वकोश उन सभी हिन्दी के पाठकों की ज्ञान-जिज्ञासाओं की तुष्टि करने का प्रयत्न करेगा जो समाजशास्त्र विषय का कम समय में अधिकाधिक ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं।

इस पुस्तक में मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, लोक प्रशासन, प्रबंधन विज्ञान, इतिहास, जीव विज्ञान आदि की कुछ ऐसी अवधारणाओं एवं संबोधों को भी सम्मिलित किया गया है जिनका समाजशास्त्र से परोक्ष या प्रत्यक्ष सहसम्बंध है। इसके अतिरिक्त, इसमें समाजशास्त्र की लगभग सभी निम्निलिखित प्रमुख शाखाओं से सम्बंधित समस्त अवधारणाओं का आवश्यकतानुसार संक्षेप अथवा सविस्तार वर्णन-विवेचन यथास्थान किया गया है :

  • मानवशास्त्र

  • जनसंख्या एवं जनांकिकी

  • भाषाविज्ञान

  • अपराधशास्त्र

  • ग्रामीण, नगरीय एवं औद्योगिक समाजशास्त्र

  • ऐतिहासिक, राजनीतिक, शैक्षिक, एवं पॉप समाजशास्त्र

  • धर्म का समाजशास्त्र

  • ज्ञान का समाजशास्त्र

  • कानून का समाजशास्त्र

  • विज्ञान का समाजशास्त्र

  • कार्य एवं व्यवसाय का समाजशास्त्र

  • स्थापत्य, कला एवं साहित्य का समाजशास्त्र

  • देह, लिंग, भोजन एवं उपभोग का समाजशास्त्र

  • विचलन, विकास एवं कल्याण का समाजशास्त्र

  • परिवार एवं गृहकार्य का समाजशास्त्र

  • रोजमर्रा जीवन का समाजशास्त्र

  • स्वास्थ्य, रुग्नता एवं चिकित्सा का समाजशास्त्र

  • अवकाश, खेलकूद एवं पर्यटन का समाजशास्त्र

  • मद्यपान एवं जूआबाजी का समाजशास्त्र

  • समय का समाजशास्त्र

  • वृद्धावस्था का समाजशास्त्र

  • जनसंचार का समाजशास्त्र

  • सैन्यवाद का समाजशास्त्र

  • कामात्मकता (सेक्सुअलिटी) का समाजशास्त्र

  • समाजशास्त्र का समाजशास्त्र

About the Author
चार दशक से भी अधिक समय से समाजशास्त्र के अध्ययन-अध्यान में सक्रिय हरिकृष्ण रावत ने अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत महाराजा कालेज, जयपुर से की थी, जब राजस्थान के गिने-चुने महाविद्यालयों में समाजशास्त्र पढ़ाया जाता था। कुछ वर्षों बाद, उनका स्थानांतरण सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय, ब्यावर में हुआ, जहाँ उन्होंने समाजशास्त्र के क्षेत्र में गहरा अनुभव अर्जित किया। उपाचार्य और प्राचार्य के रूप में कार्य करते हुए 1992 में सेवानिवृत होने के बाद, वे समाजशास्त्र के अध्ययन और लेखन में सक्रिय रहे।

प्रो. रावत के कई लेख शैक्षिक पत्रिकाओं एवं समाचार पत्रों में प्रकाशित होते रहे हैं, और उनकी पुस्तकें, जैसे कि "समाजशास्त्र विश्वकोश," "मानवशास्त्र कोश," "सामाजिक चिन्तक एवं सिद्धान्तकार," और "मानवशास्त्रीय विचारक," सर्वत्र सराहना पाई हैं। इन पुस्तकों को मूल-पाठ तथा संदर्भ ग्रंथों के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है।