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परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र (PARIVARTAN EVAM VIKAS KA SAMAJSHASTRA )(Sociology of Change and Development)

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Book Details:

  • Author: पी. सी. जैन

  • Publisher: Rawat Publications

  • Language: Hindi

  • Edition: First Edition

  • ISBN: 9788131614235

  • Pages: 343

  • Cover: Hardcover


About the Book

समाजशास्त्र एक व्यापक विज्ञान है जो समाज के प्रत्येक पक्ष का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। इस पुस्तक का मुख्य फोकस दो महत्वपूर्ण अवधारणाओं—सामाजिक परिवर्तन और विकास—पर है, जो परस्पर गहराई से जुड़ी हुई हैं। जहाँ परिवर्तन होता है, वहाँ विकास अवश्यंभावी है, और विकास परिवर्तन का परिणाम बनता है।

यह पुस्तक विशेष रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रमानुसार तैयार की गई है, जिससे विद्यार्थियों को सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक विकास की समग्र जानकारी एक ही स्थान पर मिल सके। इसमें परिवर्तन के कारक, सिद्धांत और प्रक्रियाओं के साथ-साथ विकास की बदलती अवधारणाएँ, उनके आलोचनात्मक विश्लेषण, और भारतीय संदर्भ में विकास योजनाओं की समीक्षा सम्मिलित की गई है।

पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य समाजशास्त्र के विद्यार्थियों की समझ को गहराई देना है और उन्हें समसामयिक सामाजिक प्रक्रियाओं की व्यापक व्याख्या प्रदान करना है।

मुख्य विषय-वस्तु में शामिल हैं:

  • सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा, सिद्धांत एवं कारक

  • समकालीन भारत में सामाजिक परिवर्तन की प्रवृत्तियाँ

  • विकास की अवधारणाओं का ऐतिहासिक एवं समीक्षात्मक अध्ययन

  • अल्पविकास और विकास के सिद्धांत

  • पूंजीवादी, समाजवादी, मिश्रित अर्थव्यवस्था व गांधीवादी पथ

  • सामाजिक संरचना, संस्कृति एवं विकास के बीच संबंध

  • भारतीय संदर्भ में विकास की चुनौतियाँ, नीतियाँ और कार्यक्रमों का मूल्यांकन


About the Author / Editor

डॉ. पी. सी. जैन – जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर के समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे। 2018 में सेवानिवृत्ति के बाद पेसेफिक मेडिकल विश्वविद्यालय, उदयपुर में परीक्षा नियंत्रक के पद पर कार्यरत हैं।

डॉ. जैन की विशेषता है गंभीर समाजशास्त्रीय विषयों को सरल एवं प्रभावी भाषा में प्रस्तुत करना, विशेष रूप से हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए। उन्होंने ग्रामीण समाज, जनजातीय समाज, सामाजिक आंदोलन और समाजशास्त्रीय विचारकों पर हिंदी और अंग्रेजी में कई पुस्तकों का लेखन व संपादन किया है।