👨‍💼 CUSTOMER CARE NO +918468865271

⭐ TOP RATED SELLER ON AMAZON, FLIPKART, EBAY & WALMART

🏆 TRUSTED FOR 10+ YEARS

  • From India to the World — Discover Our Global Stores

🚚 Extra 10% + Free Shipping? Yes, Please!

Shop above ₹5000 and save 10% instantly—on us!

THANKYOU10

Mera Mujh Mein Kuchh Nahin [Hindi]

Sale price Rs.225.00 Regular price Rs.300.00
Tax included


Genuine Products Guarantee

We guarantee 100% genuine products, and if proven otherwise, we will compensate you with 10 times the product's cost.

Delivery and Shipping

Products are generally ready for dispatch within 1 day and typically reach you in 3 to 5 days.

Get 100% refund on non-delivery or defects

On Prepaid Orders

Author: Osho

Brand: Diamond Books

Binding: Paperback

Number Of Pages: 304

Release Date: 05-08-2021

Part Number: RKC2001739730

Details: कबीर ने कहा कि ‘ज्यों कि त्यों धर दीन्हीं चदरिया, खूब जतन से ओढ़ी कबीरा।’ तो कबीर कहते हैं कि ओढ़ी तो, पर खूब जतन से ओढ़ी। संन्यासी वह है जो ओढ़े ही न। क्योंकि ओढ़ने में डर है, कहीं चदरिया खराब न हो जाए। और गृहस्थ वह है, जो डट कर ओढ़े, चाहे फटे, चाहे गंदी हो, कुछ भी हो जाए। और कबीर ने ओढ़ी--‘खूब जतन से ओढ़ी रे चदरिया।’ लेकिन जतन से ओढ़ी। यह ‘जतन’ शब्द बड़ा अदभुत है। कृष्णमूर्ति जिसको ‘अवेयरनेस’ कहते हैं, वही है जतन। बड़े होश से, बड़े प्रयत्न से, बड़ी जागरूकता से ओढ़ी। और--‘ज्यो की त्यों धर दीन्हीं चदरिया।’ और जब परमात्मा के पास वापस लौटने लगे, तो उसे वैसी ही लौटा दी, जैसी उसने दी थी--और ओढ़ी भी। ऐसा भी नहीं कि बिना ओढ़े, नंगे बैठे रहे। कबीर यह कह रहे हैं कि गृहस्थ भी रहे और संन्यस्त भी रहे। रहे संसार में और अछूते रहे--कमलवत।-ओशोपुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदुःनीति और धर्म में क्या भेद है?परमात्मा है क्या?सुख से वैराग्य का जनम होता है। क्यों?असहाय अवस्था का अर्थ क्या है?ऊंट किस करवट बैठे--विधायक या निषेधात्मक?ज्ञानी का मार्ग भक्त के मार्ग से क्या सर्वथा भिन्न है?

EAN: 9789351656340

Package Dimensions: 8.3 x 5.5 x 0.7 inches

Languages: hindi