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Author: Narender Kohli

Brand: Vani Prakashan

Features:


  • Vani Prakashan

  • Language Published: Hindi

Binding: hardcover

Release Date: 01-12-2011

EAN: 9789350001165

Package Dimensions: 8.8 x 5.7 x 0.7 inches

Languages: Hindi

रामकथा के पहले खंड 'दीक्षा' का लेखन शायद 1973 ई. में आरंभ हुआ था। वह मेरे मन में कब से उमड़-घुमड़ रहा था, यह कहना कठिन है। मेरी रामकथा के सारे खंड 1975 ई. से 1979 ई. के बीच प्रकाशित हुए थे। तब से ही बहुत सारे प्रश्न मेरे सामने थे • कुछ, दूसरों के द्वारा पूछे गए और कुछ मेरे अपने मन में अंकुरित हुए। बहुत कुछ वह था, जो लोग पूछ रहे थे और कुछ वह भी था, जो मैं अपने पाठकों को बताना चाहता था। यही कारण है कि समय-समय पर अनेक कोणों से, अनेक पक्षों को ले कर मैं अपनी सृजन प्रक्रिया और अपनी कृति के विषय में सोचता, कहता और लिखता रहा। अंततः उन सारे निबन्धों, साक्षात्कारों, वक्तव्यों और व्याख्यानों को मैंने एक कृति के रूप में प्रस्तुत करने का मन बनाया। मैं रामकथा के लेखन के नेपथ्य के विषय में सब कुछ कह देना चाहता था। वस्तुतः मैंने लिखने से पहले इन प्रश्नों पर उतना विचार नहीं किया था, जितना पाठकों, आलोचकों और साक्षात्कारकर्ताओं के प्रश्नों ने मुझे सोचने के लिए बाध्य किया। उन प्रश्नों के उत्तर खोजते खोजते बहुत सारी बातें मेरे सामने स्पष्ट हुईं। इस प्रकार जो मंथन मेरे मन में हुआ, वह सारा का सारा इस पुस्तक के रूप में आपके सामने है। मैंने 'अभ्युदय' में कथा और चरित्रों को वह रूप क्यों दिया, वह तर्क इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत है। रामकथा से मेरा सम्बन्ध, उसका आकर्षण, अपने युग का उससे तादात्म्य, उसका संदेश, उसका महत्त्व जिस रूप में मैं समझ पाया, वह सब इस पुस्तक में कह दिया है। प्रश्न फिर भी रहेंगे। प्रश्न नहीं रहेंगे तो भविष्य की रामकथा कैसे लिखी जाएगी।