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Jal me Kamal Bhagvadgeeta ka Manovigyan (Volume 6) [Hindi]

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Author: Osho

Brand: Diamond Books

Binding: paperback

Number Of Pages: 344

Details: Product Description
कर्म-संन्‍यास विश्राम की अवस्‍था, आलस्‍य की नहीं। कर्मयोग और कर्म-संन्‍यास दोनों के लिए शक्ति की जरूरत है दोनों के लिए। आलसी दोनों नहीं हो सकते। आलसी कर्मयोगी तो हो ही नहीं सकता, क्‍योंकि कर्म करने की ऊर्जा नहीं है। आलसी कर्मत्‍यागी भी नहीं हो सकता, क्‍योंकि कर्म के त्‍याग के लिए भी विराट ऊर्जा की जरूरत है। जितनी कर्म को करने के लिए जरूरत है, उतनी ही कर्म को छोड़ने के लिए जरूरत है। हीरे को पकड़ने के लिए मुट्ठी में जितनी ताकत चाहिए, हीरे को छोड़ने के लिए और भी ज्‍यादा ताकत चाहिए। देखें छोड़कर, तो पता चलेगा। एक रुपये को हाथ में पकड़े हुए खड़े रहे सड़क पर, और फिर छोड़ें। पता चलेगा कि पकड़ने में कम ताकत लग रही थी, छोड़ने में ज्‍यादा ताकत लग रही है।
About the Author
ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं, जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।
हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।
ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।

EAN: 9788189605735

Package Dimensions: 7.6 x 5.2 x 0.7 inches

Languages: Hindi