Vya Bhav Ki Gatha
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Publisher: Esha Publication
Author: R.P. Birthare
Language: Hindi
ISBN-13: 9789382543350
Item Weight: 485 g
Country of Origin: India
पुस्तक विवरण:
व्यय भाव की गाथा र.P. बर्थारे द्वारा लिखित एक अत्यंत महत्वपूर्ण ज्योतिष ग्रंथ है, जो भारतीय ज्योतिष में द्वादश भाव (व्यय भाव) के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। इस पुस्तक में, लेखक ने यह समझाया है कि भारतीय ज्योतिष में १२वां भाव सामान्यत: पाप और बुरे फल का कारक माना जाता है, जिसे हानि और पतन का मुख्य घर माना जाता है, लेकिन उनके अनुसार यह भाव भाग्य द्वारा प्राप्त सुख, विलासिता और ऐश्वर्य का भी प्रतिनिधित्व करता है।
लेखक का मानना है कि यदि कोई व्यक्ति धन का व्यय करता है तो वह फलस्वरूप सुख और विलासिता प्राप्त करता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई जातक विदेश जाकर शिक्षा प्राप्त करता है, तो उस शिक्षा के लिए बहुत सा धन व्यय करना पड़ता है, परन्तु इसके बाद वह विदेश में अधिक धन अर्जित कर सुख की प्राप्ति करता है।
यह पुस्तक द्वादश भाव को एक उच्च आकाशीय भाव के रूप में प्रस्तुत करती है, जो जीवन के भोग, स्त्री सुख, शयन सुख, मोक्ष, विदेश गमन, पूर्व जन्म, और जीवन के सारे सुख और दुःख को दर्शाता है। लेखक ने अपने अनुभवों और अध्ययन के आधार पर इस भाव के गुण और दोषों को स्पष्ट रूप से उजागर किया है।
लेखक, रामेश्वर पिता श्री जगन्नाथ बिरथरे का मानना है कि व्यय भाव का रहस्य जीवन के पूर्व जन्म और आने वाले जन्मों से जुड़ा हुआ है। यह पुस्तक इस रहस्य को जानने के लिए एक महत्वपूर्ण आईना है।