Teeja Jagaar
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Book Details
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Publisher: Bharatiya Jnanpith
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Author: Harihar Vaishnav
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Language: Hindi
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ISBN: 9789326352352
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Cover: Hardcover
About the Book
लोक महाकाव्य ‘तीजा जगार’ केवल एक कथा नहीं, बल्कि आदिवासी जीवन की सांस्कृतिक धड़कन है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी वाचिक परंपरा से संचरित यह महागाथा नारी द्वारा, नारी के लिए और नारी की शक्ति को समर्पित है। इसमें स्त्री का मातृरूप ही मुखर होता है—वह तुलसी का बिरवा रोपती है, सरोवर और बावड़ी खुदवाती है, बाग़-बग़ीचे लगवाती है, ताकि सम्पूर्ण मानवता, जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों के लिए अपनी ममता और करुणा का अमृत बाँट सके।
आदिवासी बहुल बस्तर अंचल को वर्षों से पिछड़ा कहे जाने के बावजूद उसकी नैतिक और सांस्कृतिक समृद्धि का दस्तावेज़ है तीजा जगार। विदेशी और देशी नृविज्ञानियों व साहित्यकारों ने जहाँ घोटुल जैसी संस्थाओं की अधूरी या विकृत छवि प्रस्तुत की, वहीं हरिहर वैष्णव ने इस लोकमहागाथा के माध्यम से बस्तर की संस्कृति को उसकी संपूर्णता और गहराई में प्रस्तुत किया है।
प्रख्यात विद्वान प्रो. धनंजय वर्मा के अनुसार, यह कृति बस्तर की लोक-संस्कृति और लोक-गाथाओं को नई दृष्टि से उद्घाटित करने वाली शोधपूर्ण प्रस्तुति है, जो रचनात्मक अनुसंधान के नये प्रतिमान स्थापित करती है।
Author Details
हरिहर वैष्णव (19 जनवरी 1955 – 23 सितम्बर 2021)
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जन्म: दंतेवाड़ा, बस्तर (छत्तीसगढ़)
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लेखन-कर्म: सम्पूर्ण जीवन और लेखन बस्तर की संस्कृति और परंपरा पर केंद्रित।
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प्रकाशित कृतियाँ: अब तक 24 पुस्तकें प्रकाशित, अनेक प्रकाशनाधीन।
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भाषाएँ: हिन्दी के साथ-साथ बस्तर की स्थानीय भाषाओं—हल्बी, भतरी, बस्तरी और छत्तीसगढ़ी में भी लेखन-प्रकाशन।
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पुरस्कार एवं सम्मान:
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छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद् का उमेश शर्मा साहित्य सम्मान
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आंचलिक साहित्यकार सम्मान (दुष्यन्त कुमार स्मारक संग्रहालय)
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छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण पं. सुन्दरलाल शर्मा साहित्य सम्मान
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वेरियर एल्विन प्रतिष्ठा अलंकरण
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साहित्य अकादेमी का भाषा सम्मान
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सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अंतर्गत वे ऑस्ट्रेलिया (1991), स्विट्ज़रलैंड (2000) और इटली (2002) प्रवास पर भी गए।
उन्होंने बस्तर की हल्बी भाषा में 5 एनीमेशन फ़िल्मों का निर्माण West Highland Animation (स्कॉटलैंड) के साथ मिलकर किया।