Buddha Muskuraye
Buddha Muskuraye is backordered and will ship as soon as it is back in stock.
Couldn't load pickup availability
Genuine Products Guarantee
Genuine Products Guarantee
We guarantee 100% genuine products, and if proven otherwise, we will compensate you with 10 times the product's cost.
Delivery and Shipping
Delivery and Shipping
Products are generally ready for dispatch within 1 day and typically reach you in 3 to 5 days.
Author: Yash Malviya
Brand: Vani Prakashan
Edition: 2nd
Binding: paperback
Number Of Pages: 160
Release Date: 17-02-2024
Details: बुद्ध मुस्कुराये - बुद्ध मुस्कुराये यश मालवीय का नवीनतम गीत-संग्रह है। यश के गीतों में एक भावुक मन है, पर उसे अपनी भावुकता पर न लजाने की ज़रूरत है न पछताने की। श जानते हैं कि भावुकता किस प्रकार एक सक्रिय संवेदनशीलता का पर्याय बनकर अपने समय के यथार्थ से सीधी मुठभेड़ का बीड़ा उठा सकती है। यह भावुकता सिर्फ़ 'कातर टेर' नहीं है। 'कातर टेर' का हश्र कवि को पता है- समीकरणों में उलझकर सृष्टि के एक कातर टेर उगकर टूट जाती है! भावुकता एक 'प्रतिवाद' की भूमिका में क्रियात्मक रूप ले, यह कवि को अभीष्ट है, इसीलिए उसके एक गीत में 'गाय' का अपने दुधमुँहे को याद करना 'प्रतिवाद करना' भी बन जाता है। 'गाय' यहाँ न तो निरी असहायता का बिम्ब है, जैसा कि प्रायः रहा है और न ही वैसा साम्प्रदायिक बिम्ब है जिसका प्रायः राजनीतिक उपयोग होता है। यश के गीतों में उनकी अनुभूति के वैयक्तिक और सामाजिक, दोनों आयाम परस्पर' एक सन्तुलन बरकरार रखते हैं। ‘अतिरिक्त' या 'प्रदर्शनात्मक' रूप में सामाजिक होने की विडम्बना यश पहचानते हैं। अनुभूति को उसकी वैयक्तिकता में सहेजना यश के गीतों में इसलिए सार्थक है कि सहज होकर सामाजिक होने की राह उसमें दीखती है, जो उनके गीतों को विशिष्ट बनाती है।
EAN: 9789357759205
Package Dimensions: 8.3 x 5.9 x 0.8 inches
Languages: Hindi


