श्रीमद्भागवत महापुराण Srimad Bhagwat Mahapuran (5 vol.)
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Book Detail
- Title: श्रीमद्भागवत महापुराण
- Author: महर्षि बादरायण व्यास
- Subject: पुराण
- Edition: 2019
- Publishing Year: 2019
- ISBN: 9788170804871, 9788170804901
- Packing: 5 Volumes
- Pages: 2736
- Dimensions: 25.5 x 19 cm
- Weight: 4487 g
- Binding: Hardcover
- Publisher: (Not Provided)
- Language: संस्कृत एवं हिंदी
Book Description
श्रीमद्भागवत महापुराण की दिव्यता
यह ग्रंथ महर्षि व्यास की सारस्वत साधना का सर्वस्व है, जो वेदों और शास्त्रों का सारतत्व प्रस्तुत करता है। इस ग्रंथ का अध्ययन ज्ञान, भक्ति, और वैराग्य की त्रिवेणी में स्नान के समान है।
तीन प्रकार की भाषाएँ
महर्षि व्यास ने पुराणों की रचना तीन भाषाओं में की –
- लौकिक भाषा – साधारण भाषा
- विचित्र भाषा – आध्यात्मिक भाषा
- समाधि भाषा – ब्रह्मानंदमयी भाषा
श्रीमद्भागवत समाधि भाषा से परिपूर्ण है, जिससे गूढ़ आध्यात्मिक रहस्यों को समझा जा सकता है।
वेदों और दर्शनों का सार
यह पुराण वेद-वेदांगों का सार है और गीता का व्याख्यात्मक ग्रंथ माना जाता है। इसके माध्यम से द्वैत, अद्वैत, विशिष्टाद्वैत जैसे सभी दार्शनिक मतों की पुष्टि होती है।
भक्तियोग और निष्काम कर्मयोग
श्रीमद्भागवत में भक्तियोग, ज्ञानयोग और निष्काम कर्मयोग की गहन विवेचना की गई है। इसमें यह सिद्ध किया गया है कि केवल भक्ति के माध्यम से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
भक्ति के दो रूप
- अनुराग भक्ति – निष्ठावान प्रेममयी भक्ति (गोपियों, नंद, यशोदा द्वारा)
- वैर भक्ति – विरोध में भी निरंतर ईश्वर का ध्यान (रावण, कंस, शिशुपाल)
व्यास महाराज का दिव्य अवतरण
महर्षि व्यास का जन्म महर्षि पराशर और सत्यवती के संयोग से हुआ, जो भगवान के विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए था। उनके द्वारा ब्रह्मसूत्र, महाभारत और श्रीमद्भागवत की रचना सम्पूर्ण जगत के कल्याण के लिए हुई।
श्रीमद्भागवत का महत्व
- वेदों, उपनिषदों और गीता का सार
- भक्तियोग की सर्वोच्चता
- समाधि भाषा द्वारा गूढ़ आध्यात्मिक सिद्धांत
- अद्वैत-द्वैत सिद्धांतों की पुष्टि
- भागवत कथा द्वारा मोक्ष का मार्ग
यह ग्रंथ उन सभी के लिए अनिवार्य है जो धर्म, दर्शन, और भक्ति के गहन तत्वों को समझना चाहते हैं।