मद्गलपुराणं (खंड-I-5) संपूर्ण Mudgalpuranam (Vol-I -5) Complete )
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Book Detail
- Title: मुद्गल पुराण
- Subject: पुराण
- Edition: 2021
- Publishing Year: 2021
- ISBN: 9788121804608
- Packing: 5 Volumes
- Pages: 3076
- Dimensions: 25.5 x 19 cm
- Binding: Hardcover
- Publisher: (Not Provided)
- Language: संस्कृत एवं हिंदी
Book Description
भारतीय संस्कृति और वेदों की प्राचीनता
भारतीय संस्कृति को विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति माना गया है, और इसके मूल आधार वेद हैं। वेदों को अपौरुषेय कहा गया है, अर्थात वे किसी व्यक्ति द्वारा रचित नहीं, बल्कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त माने जाते हैं।
वेदों की प्रमाणिकता और महत्व
चारों वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद – भारतीय धर्म और दर्शन के मूल स्तंभ हैं। इनके साथ आयुर्वेद, धनुर्वेद, गंधर्ववेद और अर्थवेद जैसे उपवेद भी जुड़े हैं।
पुराणों की आवश्यकता और महत्व
वेदों के गूढ़ अर्थ को साधारण व्यक्ति के लिए समझना कठिन था, इसलिए प्राचीन मनीषियों ने स्मृति और पुराणों की रचना की। पुराणों में ज्ञान, कर्म और उपासना के सिद्धांतों को सरल भाषा में कथाओं के माध्यम से समझाया गया है।
मुद्गल पुराण का विशेष योगदान
मुद्गल पुराण वेदों के अर्थ को विस्तार से समझाने के लिए एक महत्त्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें धार्मिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक तत्वों का समन्वय किया गया है, जिससे यह आस्तिक जगत में प्रमाणिक ग्रंथ माना जाता है।
वेद और पुराणों का संबंध
महाभारत में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि वेदों के ज्ञान को पूर्ण रूप से समझने के लिए पुराणों का अनुशीलन आवश्यक है। इस पुराण में वेदों की व्याख्या, धार्मिक कर्मकांड, आचार-विचार और उपासना पद्धति का विस्तार से वर्णन किया गया है।
यह ग्रंथ उन पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो वेदों, पुराणों और भारतीय संस्कृति की गहराई को समझना चाहते हैं।