Loktantra Ka Bhavishya
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Author: Edited by Arun Kumar Tripathi
Brand: Vani Prakashan
Edition: First Edition
Binding: hardcover
Number Of Pages: 198
Release Date: 01-03-2023
EAN: 9789357750431
Package Dimensions: 9.8 x 7.9 x 5.9 inches
Languages: Hindi
Details: "लोकतन्त्र का भविष्य - शीत युद्ध की समाप्ति के बाद दुनिया में लोकतन्त्र के स्वर्ण युग की जो उम्मीद बनी थी वह निरन्तर धुँधली होती जा रही है । लोकतन्त्र एक तरह के लोकलुभावनवाद का शिकार हो रहा है और वही लोकलुभावनवाद उसे अधिनायकवाद की ओर ले जा रहा है । ऐसे लोगों की संख्या घट रही है जो लोकतन्त्र को एक स्थिर और अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रणाली मानते रहे हैं। अब लोकतन्त्र सारी व्यवस्थाओं का नवनीत नहीं बल्कि उनकी छाछ बनकर रह गया है। अपने लगभग दो सौ वर्षों के इतिहास में यूरोप और अमेरिका के लोकतन्त्र ने तमाम चुनौतियों का सामना किया और उनसे उबर गया। वे चुनौतियाँ तख्ता पलट की थीं, गृहयुद्ध की थीं और विश्वयुद्ध की भी थीं, लेकिन आज की चुनौती चुनाव के माध्यम से ही पैदा हो रही है। अब ऐसे लोग सत्ता में चुनकर आ रहे हैं जो भले ही चुनाव से आये हों पर लोकतन्त्र के बुनियादी मूल्यों में विश्वास नहीं करते। वे विपक्ष की देशभक्ति पर सन्देह करते हैं, संस्थाओं की स्वायत्तता को धता बताते हैं, जनता के मौलिक अधिकारों को कुचलकर रखना चाहते हैं और चुनावी प्रक्रिया को हड़पकर किसी प्रकार चुनाव जीतना चाहते हैं। यह स्थिति अमेरिका, हंगरी, तुर्की से लेकर भारत तक बनी है। डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव हारने के बाद जिस तरह कैपिटल हिल पर धावा बोला वह लोकतन्त्र का मज़ाक़ था। "




