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Author: Surinder Deol

Binding: paperback

Number Of Pages: 258

Release Date: 11-05-2021

EAN: 9789390678341

Languages: Hindi

Details: रात सुनसान थी बोझल थीं फ़ज़ा की साँसें/ रूह पर छाये थे बे-नाम ग़मों के साये /दिल को ये ज़िद थी कि तू आये तसल्ली देने / मेरी कोशिश थी कि कमबख़्त को नींद आ जाये/ यूँ अचानक तिरी आवाज़ कहीं से आयी / जैसे पर्वत का जिगर चीर के झरना फूटे / या ज़मीनों की मोहब्बत में तड़प कर नागाह /आसमानों से कोई शोख़ सितारा टूटे –'तिरी आवाज़' चन्द कलियाँ नशात की चुन कर / मुद्दतों महव-ए यास रहता हूँ / तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही / तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ – 'रद्द-ए अमल / प्यार पर बस तो नहीं है मिरा लेकिन फिर भी/ तू बता दे कि तुझे प्यार करूँ या न करूँ/ तूने ख़ुद अपने तबस्सुम से जगाया है जिन्हें / उन तमन्नाओं का इज़हार करूँ या न करूँ – ‘मता-ए गैर' साहित्य से गहरा लगाव रखने वाले सभी लोग सुरिन्दर देओल द्वारा साहिर की ज़िन्दगी और शायरी पर किये गये इस विशद और गहरे लेखन से मुग्ध और विस्मित हुए बिना नहीं रह सकेंगे। -गोपी चन्द नारंग ('प्रस्तावना' से) दुनिया ने तज़रबात व हवादिस की शक्ल में जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूँ मैं - ‘समर्पण' अनगिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है कौन कहता है कि सादिक़ न थे जज़्बे उनके लेकिन उनके लिए तश्हीर का सामान नहीं क्यूँकि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़्लिस थे – 'ताजमहल' कभी-कभी मिरे दिल में ख़याल आता है कि ज़िन्दगी तिरी जुल्फ़ों की नर्म छाँव में गुज़रने पाती तो शादाब हो भी सकती थी ये तीरगी जो मिरी जीस्त का मुक़द्दर है तिरी नज़र की शुआ'ओं में खो भी सकती थी - 'कभी-कभी'