ज्योतिष और घटना चक्र: Astrology and Cycle of Events
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Book Detail:
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Author: कृष्ण कुमार (Krishna Kumar)
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Publisher: Alpha Publications
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Binding: Paperback
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Number of Pages: 467
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ISBN: N/A
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Languages: Hindi
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Edition: 2012
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Dimensions: 21.5 cm x 14 cm
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Weight: 600 gm
Book Descriptionअपनी बात
शायद आपने भी यह कहावत सुनी होगी कि 'बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा' कुछ ऐसी ही कहानी इस पुस्तक की है । भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद द्वारा संचालित सप्ताहांत ज्योतिष प्रशिक्षण कार्यक्रमों के चौथे सत्र का चौथा पर्चा घटनाओं का समय या Timing of Events का होता है । वरिष्ठ सहयोगियों के विदेश प्रवास के कारण ये दायित्व मेरे कंधो पर आ गया ।
अपनी और छात्रों की सुविधा के लिए विभिन्न स्रोतों से बटोरी गयी सामग्री ने कैसे पुस्तक का आकार ले लिया मुझे तो पता भी नहीं लगा । मेरे मित्रों ने बड़े परिश्रम से फलादेश की मिश्रित एवं उत तकनीक (Advance and Composite Predictive Technique) से संबंधित सूत्र व कुंडलियाँ बटोर कर स्नेहपूर्वक प्रदान कीं । यह सामग्री इस पुस्तक का आधार और प्राण-शक्ति है ।
'ज्योतिष तो जीवन शास्त्र है जिसे जीवन प्यारा हो उसे ज्योतिष शास्त्र को भी अपनाना होगा गुरुदेव के इस सूत्र को प्रथम अध्याय में थोड़ा विस्तार देने का प्रयास किया है-और यही इस पुस्तक का बीज भी है । विशिष्ट व्यक्तियों को जो यश और मान प्राप्त हुआ उसके पीछे ज्योतिषीय कारणों की विवेचना अध्याय 2 बनी ।विवाह, रोग या दुर्घटना तथा धन वैभव की प्राप्ति में ग्रह और गोचर का महत्व, अध्याय 3 से अध्याय 5 तक में संकलित है । मानक ग्रंथों में दिए गए सूत्रों की परीक्षा पाठक स्वयं करें; इस उद्देश्य से लगभग 50 कुंडलियाँ दी गई हैं।
बहुधा एक ज्योतिषी से, शिक्षा आजीविका, विदेश यात्रा तथा आर्थिक संपन्नता या धन और यश प्राप्ति से संबंधित, प्रश्न पूछे जाते हैं । अध्याय 6, 7,8 में इन्हीं बातों पर उदाहरण सहित चर्चा हुई है । मेरे गुरुजन श्री जे एन शर्मा, श्री रोहित वेदी, श्री एमएन केदार एवं श्री एबी शुक्ल ने स्नेहपूर्णसहयोग व मार्गदर्शन कर इसे व्यवस्थित किया । मैं उनका हृदय से आभारी हूँ। यहाँ 39 कुंडलियो का संकलन है।
इसके बाद तीन अध्याय धन हानि, हत्या या मृत्यु तथा अपराध और दंड जीवन के अंधियारे पक्ष पर प्रकाश डालते हैं । ये जीवन, सुख-दुख के ताने बाने से बुना, धूप-छाँह का खेल ही तो है। इस खंड में 32 कुंडलियाँ संकलित हैं।
अध्याय 12 से 15 तक में भूसंपदा, वाहन-सुख, माता-पिता की मृत्यु तथा संतान सुख कब तक विचार हुआ है । ध्यान देने योग्य बात यही है कि दशानाथ और मुक्तिनाथ की जन्म कुंडली में स्थिति, इन ग्रहों का गोचर तथा कारक ग्रहों की संबंधित वर्ग कुंडली में स्थिति और गोचर, अच्छी बुरी घटना का कारण बन जाता है । इसका विवेचन 3० कुंडलियों के साथ हुआ है । अध्याय 16 आँसू और मुस्कान का अर्थ जीवन और ज्योतिष के संबंधों की पुष्टि करना है । वह नीले अबर वाला इन ग्रहों की गति और स्थिति से किस प्रकार घटनाओं का जाल बुनता है यही जानता है । यह निश्चय ही रोचक विषय है । जो ग्रह दशा बहुत यश व सम्मान देती है, उसमें गोचर का मामूली सा परिवर्तन जीवन का पटाक्षेप कर देता है । श्री राजीव गांधी के जीवन में माता की मृत्यु और सत्तालाभ तो प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन में युद्ध में विजय और जीवन लीला की समाप्ति ऐसी कुछ घटनाएं हैं जो इस शीर्षक को सार्थक करती हैं ।
मुझे विश्वास है कि ज्योतिष प्रेमियों के मन को यह पुस्तक अवश्य भाएगी । ज्योतिष विशारद और आचार्य के छात्र, ज्योतिषीय अनुसधान में लगे शोधकर्ता तथा ज्योतिषीय परामर्श व उपचार में संलग्न विद्वान ज्योतिषी इस कृति को उपयोगी पाएँगे ऐसा मेरा विश्वास है ।
मेरी अज्ञानता व प्रमादवश निश्चय ही कुछ त्रुटियाँ, अनचाहे रूप से, इस कृति में आ गई होगी, इसका मुझे खेद है । विज्ञ पाठक घटनाओं सहित नई कुंडलिया व ग्रह दशा विश्लेषण भेज कर ज्योतिष ज्ञान यज्ञ में अपनी आहुति डालेगे इसका मुझे पूरा भरोसा है।
अत में सबसे बड़ी और सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात फिर से दोहराना चाहूँगा । इसमें मेरा अपना शायद कुछ भी नहीं है । प्राचीन ऋषियो ने अथाह ज्ञान की जो धरोहर हमें सौंपी है, उसी को सजाने सवारने का यह छोटा सा प्रयास है । अत: इसमें जो कुछ श्रेष्ठ, उत्तम और कल्याणप्रद जान पडे वह सब उन्हीं का है । इसका श्रेय और यश आप उन्हीं को दें, मुझ सरीखे कलम के सिपाही को नहीं ।
वह जिसकी हैं हजार आँखे, हजार पाँव और हजार हाथ । बस वही एक सब कुछ किया करता है।हम व्यर्थ ही, बकरी की तरह, मैं-मैं किया करते है । अच्छा तो यही है, धुनियाँ की ताँत से, रुई धुनते समय निकलती, तू ही तू ही की आवाज हमारे अतस से भी निकले शायद इस घटना का इतज़ार है जीव को को ।
कृतज्ञता ज्ञापन
ज्योतिष शास्त्र वेदांग है । दिव्यदृष्टा ऋषियों ने अपने बुद्धि बल, विवेक तथा अन्तर्प्रज्ञा से इस दिव्य ज्ञान को मानव मात्र के कल्याण की इच्छा से विकसित और समृद्ध किया । निश्चय ही वे श्रद्धा और सम्मान के पात्र हैं । उन्हें कोटिशः नमन ।
ऋषि प्रणीत विद्या के प्रचार प्रसार में संलग्न विद्वान टीकाकार, मुद्रक, प्रकाशक, विक्रेता व पाठकवृन्द भी धन्यवाद के पात्र हैं । इनकी निष्ठा व स्नेह इस अलौकिक विद्या की प्राण शक्ति है। वे इस विद्या को अधिक उपयोगी, व्यावहारिक तथा सार्थक बनाने के लिए सतत प्रयासशील हैं । उनकी दृढ़ आस्था और समर्पण प्रशंसनीय है ।
मैं आभारी हूँ अपने गुरुजन न्यायमूर्ति श्री एसएनकपूर, डॉ० ललिता गुप्ता, श्री एबी शुक्ल, श्री जेएन शर्मा, डॉ० निर्मल जिंदल, डॉ० श्री कान्त गौड़, श्री एमएन केदार, श्री के रंगाचारी श्री रोहित वेदी, श्री आरएल द्विवेदी, श्री रस्तोगी तथा मेरे ज्योतिष मित्र डॉ० सुरेन्द्रशास्त्री, श्री संजय शास्त्री तथा श्री हरीश आद्या का जिनका कृपापूर्ण मार्गदर्शन व स्नेहपूर्ण सहयोग मेरी लेखनी की आत्मा है। इनके अगाध ज्ञान, अनुभव व जनसेवा की उत्कृष्ट भावना के लिए मैं श्रद्धापूर्वक नतमस्तक हूँ।
मेरे मित्र, हितैषी, ज्योतिष बंधु, शोधकर्ता छात्र व-ज्योतिष प्रेमी सज्जनों का स्नेह, सहयोग व आग्रह ही मेरी इस कृति का मुख्य कारण है । इन सभी ने बड़ी निष्ठा व लगन से पाठ्य सामग्री जुटाई और उसे व्यवस्थित किया। इनका अतिशय धन्यवाद।
मेरे मित्र व प्रकाशक श्री अमृतलाल जैन तथा उनके पुत्र श्री देवेन्द्र जैन ने ज्योतिष पुस्तक व पत्रिकाओं से दुर्लभ लेखों का चयन व संकलन कर इस पुस्तक को सुन्दर रूप प्रदान किया । श्री राजेश सैम्यूल ने बिखरे हुए नोट्स को अक्षर संयोजन कर मेरा मनोबल व उत्साह बढाया । निश्चय ही इनका परिश्रम प्रशंसनीय है तथा भविष्य में भी मैं इनसे ऐसे ही सहयोग की कामना करता हूँ।
मैं आभारी हूँ अपने सभी पाठकों का जिनका स्नेह इस पुस्तक की प्रेरणा शक्ति बना । शायद जिसकी इच्छा के बिना पत्ता तक नहीं हिलता, उसकी ही इच्छा थी कि ये कृति पाठकों तक पहुँचे, सो उसने ही हजारो हाथो से इस काम को पूरा कर डाला । मेरे दो हाथ उसके प्रति श्रद्धा भाव से जुड़े है।
Book Descriptionअपनी बात
शायद आपने भी यह कहावत सुनी होगी कि 'बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा' कुछ ऐसी ही कहानी इस पुस्तक की है । भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद द्वारा संचालित सप्ताहांत ज्योतिष प्रशिक्षण कार्यक्रमों के चौथे सत्र का चौथा पर्चा घटनाओं का समय या Timing of Events का होता है । वरिष्ठ सहयोगियों के विदेश प्रवास के कारण ये दायित्व मेरे कंधो पर आ गया ।
अपनी और छात्रों की सुविधा के लिए विभिन्न स्रोतों से बटोरी गयी सामग्री ने कैसे पुस्तक का आकार ले लिया मुझे तो पता भी नहीं लगा । मेरे मित्रों ने बड़े परिश्रम से फलादेश की मिश्रित एवं उत तकनीक (Advance and Composite Predictive Technique) से संबंधित सूत्र व कुंडलियाँ बटोर कर स्नेहपूर्वक प्रदान कीं । यह सामग्री इस पुस्तक का आधार और प्राण-शक्ति है ।
'ज्योतिष तो जीवन शास्त्र है जिसे जीवन प्यारा हो उसे ज्योतिष शास्त्र को भी अपनाना होगा गुरुदेव के इस सूत्र को प्रथम अध्याय में थोड़ा विस्तार देने का प्रयास किया है-और यही इस पुस्तक का बीज भी है । विशिष्ट व्यक्तियों को जो यश और मान प्राप्त हुआ उसके पीछे ज्योतिषीय कारणों की विवेचना अध्याय 2 बनी ।विवाह, रोग या दुर्घटना तथा धन वैभव की प्राप्ति में ग्रह और गोचर का महत्व, अध्याय 3 से अध्याय 5 तक में संकलित है । मानक ग्रंथों में दिए गए सूत्रों की परीक्षा पाठक स्वयं करें; इस उद्देश्य से लगभग 50 कुंडलियाँ दी गई हैं।
बहुधा एक ज्योतिषी से, शिक्षा आजीविका, विदेश यात्रा तथा आर्थिक संपन्नता या धन और यश प्राप्ति से संबंधित, प्रश्न पूछे जाते हैं । अध्याय 6, 7,8 में इन्हीं बातों पर उदाहरण सहित चर्चा हुई है । मेरे गुरुजन श्री जे एन शर्मा, श्री रोहित वेदी, श्री एमएन केदार एवं श्री एबी शुक्ल ने स्नेहपूर्णसहयोग व मार्गदर्शन कर इसे व्यवस्थित किया । मैं उनका हृदय से आभारी हूँ। यहाँ 39 कुंडलियो का संकलन है।
इसके बाद तीन अध्याय धन हानि, हत्या या मृत्यु तथा अपराध और दंड जीवन के अंधियारे पक्ष पर प्रकाश डालते हैं । ये जीवन, सुख-दुख के ताने बाने से बुना, धूप-छाँह का खेल ही तो है। इस खंड में 32 कुंडलियाँ संकलित हैं।
अध्याय 12 से 15 तक में भूसंपदा, वाहन-सुख, माता-पिता की मृत्यु तथा संतान सुख कब तक विचार हुआ है । ध्यान देने योग्य बात यही है कि दशानाथ और मुक्तिनाथ की जन्म कुंडली में स्थिति, इन ग्रहों का गोचर तथा कारक ग्रहों की संबंधित वर्ग कुंडली में स्थिति और गोचर, अच्छी बुरी घटना का कारण बन जाता है । इसका विवेचन 3० कुंडलियों के साथ हुआ है । अध्याय 16 आँसू और मुस्कान का अर्थ जीवन और ज्योतिष के संबंधों की पुष्टि करना है । वह नीले अबर वाला इन ग्रहों की गति और स्थिति से किस प्रकार घटनाओं का जाल बुनता है यही जानता है । यह निश्चय ही रोचक विषय है । जो ग्रह दशा बहुत यश व सम्मान देती है, उसमें गोचर का मामूली सा परिवर्तन जीवन का पटाक्षेप कर देता है । श्री राजीव गांधी के जीवन में माता की मृत्यु और सत्तालाभ तो प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन में युद्ध में विजय और जीवन लीला की समाप्ति ऐसी कुछ घटनाएं हैं जो इस शीर्षक को सार्थक करती हैं ।
मुझे विश्वास है कि ज्योतिष प्रेमियों के मन को यह पुस्तक अवश्य भाएगी । ज्योतिष विशारद और आचार्य के छात्र, ज्योतिषीय अनुसधान में लगे शोधकर्ता तथा ज्योतिषीय परामर्श व उपचार में संलग्न विद्वान ज्योतिषी इस कृति को उपयोगी पाएँगे ऐसा मेरा विश्वास है ।
मेरी अज्ञानता व प्रमादवश निश्चय ही कुछ त्रुटियाँ, अनचाहे रूप से, इस कृति में आ गई होगी, इसका मुझे खेद है । विज्ञ पाठक घटनाओं सहित नई कुंडलिया व ग्रह दशा विश्लेषण भेज कर ज्योतिष ज्ञान यज्ञ में अपनी आहुति डालेगे इसका मुझे पूरा भरोसा है।
अत में सबसे बड़ी और सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात फिर से दोहराना चाहूँगा । इसमें मेरा अपना शायद कुछ भी नहीं है । प्राचीन ऋषियो ने अथाह ज्ञान की जो धरोहर हमें सौंपी है, उसी को सजाने सवारने का यह छोटा सा प्रयास है । अत: इसमें जो कुछ श्रेष्ठ, उत्तम और कल्याणप्रद जान पडे वह सब उन्हीं का है । इसका श्रेय और यश आप उन्हीं को दें, मुझ सरीखे कलम के सिपाही को नहीं ।
वह जिसकी हैं हजार आँखे, हजार पाँव और हजार हाथ । बस वही एक सब कुछ किया करता है।हम व्यर्थ ही, बकरी की तरह, मैं-मैं किया करते है । अच्छा तो यही है, धुनियाँ की ताँत से, रुई धुनते समय निकलती, तू ही तू ही की आवाज हमारे अतस से भी निकले शायद इस घटना का इतज़ार है जीव को को ।
कृतज्ञता ज्ञापन
ज्योतिष शास्त्र वेदांग है । दिव्यदृष्टा ऋषियों ने अपने बुद्धि बल, विवेक तथा अन्तर्प्रज्ञा से इस दिव्य ज्ञान को मानव मात्र के कल्याण की इच्छा से विकसित और समृद्ध किया । निश्चय ही वे श्रद्धा और सम्मान के पात्र हैं । उन्हें कोटिशः नमन ।
ऋषि प्रणीत विद्या के प्रचार प्रसार में संलग्न विद्वान टीकाकार, मुद्रक, प्रकाशक, विक्रेता व पाठकवृन्द भी धन्यवाद के पात्र हैं । इनकी निष्ठा व स्नेह इस अलौकिक विद्या की प्राण शक्ति है। वे इस विद्या को अधिक उपयोगी, व्यावहारिक तथा सार्थक बनाने के लिए सतत प्रयासशील हैं । उनकी दृढ़ आस्था और समर्पण प्रशंसनीय है ।
मैं आभारी हूँ अपने गुरुजन न्यायमूर्ति श्री एसएनकपूर, डॉ० ललिता गुप्ता, श्री एबी शुक्ल, श्री जेएन शर्मा, डॉ० निर्मल जिंदल, डॉ० श्री कान्त गौड़, श्री एमएन केदार, श्री के रंगाचारी श्री रोहित वेदी, श्री आरएल द्विवेदी, श्री रस्तोगी तथा मेरे ज्योतिष मित्र डॉ० सुरेन्द्रशास्त्री, श्री संजय शास्त्री तथा श्री हरीश आद्या का जिनका कृपापूर्ण मार्गदर्शन व स्नेहपूर्ण सहयोग मेरी लेखनी की आत्मा है। इनके अगाध ज्ञान, अनुभव व जनसेवा की उत्कृष्ट भावना के लिए मैं श्रद्धापूर्वक नतमस्तक हूँ।
मेरे मित्र, हितैषी, ज्योतिष बंधु, शोधकर्ता छात्र व-ज्योतिष प्रेमी सज्जनों का स्नेह, सहयोग व आग्रह ही मेरी इस कृति का मुख्य कारण है । इन सभी ने बड़ी निष्ठा व लगन से पाठ्य सामग्री जुटाई और उसे व्यवस्थित किया। इनका अतिशय धन्यवाद।
मेरे मित्र व प्रकाशक श्री अमृतलाल जैन तथा उनके पुत्र श्री देवेन्द्र जैन ने ज्योतिष पुस्तक व पत्रिकाओं से दुर्लभ लेखों का चयन व संकलन कर इस पुस्तक को सुन्दर रूप प्रदान किया । श्री राजेश सैम्यूल ने बिखरे हुए नोट्स को अक्षर संयोजन कर मेरा मनोबल व उत्साह बढाया । निश्चय ही इनका परिश्रम प्रशंसनीय है तथा भविष्य में भी मैं इनसे ऐसे ही सहयोग की कामना करता हूँ।
मैं आभारी हूँ अपने सभी पाठकों का जिनका स्नेह इस पुस्तक की प्रेरणा शक्ति बना । शायद जिसकी इच्छा के बिना पत्ता तक नहीं हिलता, उसकी ही इच्छा थी कि ये कृति पाठकों तक पहुँचे, सो उसने ही हजारो हाथो से इस काम को पूरा कर डाला । मेरे दो हाथ उसके प्रति श्रद्धा भाव से जुड़े है।