Vikas Ka Samajshastra (Sociology of Development) (Hindi)
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Book Details:
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Author: शिवबहाल सिंह (Shivahal Singh)
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Publisher: Rawat Publications
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Language: Hindi
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Edition: 2010
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ISBN: 9788131603482
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Pages: 238
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Cover: Paperback
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Dimensions: 8.4 x 5.6 x 0.4 inches
About the Book:
आरम्भ में ‘विकास’ शब्द का प्रयोग केवल आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में किया जाता था, लेकिन समय के साथ यह एक बहुआयामी अवधारणा बन गया, जिसमें मानव समाज के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक पहलुओं की विकास प्रक्रियाएं सम्मिलित हैं। विकास का वास्तविक अर्थ केवल आर्थिक वृद्धि नहीं, बल्कि मानवीय और सामाजिक विकास के साथ संतुलित प्रगति है।
इस पुस्तक ‘विकास का समाजशास्त्र’ में समाज और अर्थव्यवस्था के पारस्परिक संबंधों को समझने का प्रयास किया गया है। इसमें यह विश्लेषण किया गया है कि सांस्कृतिक और संरचनात्मक विकास किस प्रकार आर्थिक विकास को प्रभावित करता है। साथ ही, यह पुस्तक विकास के सहायक और बाधक तत्वों, राज्य की भूमिका, और विकास एवं अल्पविकास के सिद्धांतों पर गहन दृष्टि डालती है।
पुस्तक में जिन प्रमुख विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई है, उनमें शामिल हैं:
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विकास की अवधारणाएं और आयाम
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विकास एवं अल्पविकास के सिद्धांत
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विकास के मार्ग और अभिकरण
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औद्योगिक उद्यमिता
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संस्कृति, संरचना और विकास
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प्रौद्योगिकी की भूमिका और उसका सकारात्मक व नकारात्मक पक्ष
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नगरीकरण और आर्थिक विकास
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भारत में आर्थिक सुधार और वैश्वीकरण
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आधुनिकीकरण और सामाजिक परिवर्तन
यह पुस्तक स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी है और विकास, समाजशास्त्र एवं सामाजिक परिवर्तन के क्षेत्र में अध्ययनरत पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
About the Author:
शिवबहाल सिंह ने अपने शैक्षणिक जीवन की शुरुआत टी.डी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर (उ.प्र.) से की। 1977 में उन्हें भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली की टीचर फेलोशिप प्राप्त हुई और पीएच.डी. पूर्ण करने के बाद वे गोरखपुर विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग में कार्यरत हुए, जहाँ से वे आचार्य एवं विभागाध्यक्ष के पद से सेवानिवृत्त हुए।
उनके प्रमुख शोध क्षेत्र उद्यमिता का समाजशास्त्र, विकास और सामाजिक परिवर्तन हैं। उनके अनेक शोध लेख प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और पुस्तकों में प्रकाशित हुए हैं। एन.सी.ई.आर.टी. ने उनकी कई हिंदी और अंग्रेज़ी पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन किया। वर्तमान में वे भारतीय समाजशास्त्र परिषद की प्रबंध समिति के सदस्य हैं और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की प्रमुख अनुसंधान परियोजना पर शोध कार्य कर रहे हैं।