परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र (PARIVARTAN EVAM VIKAS KA SAMAJSHASTRA)(Sociology of Change and Development)
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पुस्तक विवरण:
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लेखक: पी.सी. जैन
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प्रकाशक: Rawat Publications
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भाषा: हिन्दी
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संस्करण: प्रथम संस्करण
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ISBN: 9788131614242
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पृष्ठ: 343
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कवर: पेपरबैक
पुस्तक के बारे में
यह पुस्तक समाजशास्त्र के दो महत्वपूर्ण पहलुओं—सामाजिक परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक विकास—पर केंद्रित है, जो एक-दूसरे के पूरक हैं। जहाँ परिवर्तन होता है वहाँ विकास अवश्यंभावी है, और जहाँ विकास होता है वहाँ परिवर्तन की प्रक्रिया भी चलती है। यह पुस्तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के पाठ्यक्रमानुसार लिखी गई है ताकि विद्यार्थी एक ही स्थान पर संपूर्ण अध्ययन सामग्री प्राप्त कर सकें।
मुख्य विशेषताएँ:
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सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा, उसके कारक और सिद्धांतों की विस्तृत व्याख्या
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भारत में सामाजिक परिवर्तन की प्रवृत्तियाँ और प्रक्रियाएँ
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विकास की बदलती अवधारणाएँ और उनके आलोचनात्मक दृष्टिकोण
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अल्पविकास के सिद्धांत, विकास के पथ (पूँजीवादी, समाजवादी, मिश्रित, गाँधीवादी)
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सामाजिक संरचना और संस्कृति का विकास से संबंध
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भारतीय संदर्भ में विकास के अनुभव, आर्थिक सुधारों के समाजशास्त्रीय प्रभाव
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सामाजिक नीतियों और कार्यक्रमों का निर्माण, मूल्यांकन और निगरानी
यह पुस्तक समाजशास्त्र के विद्यार्थियों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं के लिए अत्यंत उपयोगी है, जो परिवर्तन और विकास की प्रक्रिया को भारतीय सामाजिक संदर्भ में समझना चाहते हैं।
विषय-सूची (Contents):
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सामाजिक परिवर्तन क्या है?
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सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त एवं कारक
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समकालीन भारत में सामाजिक परिवर्तन: प्रवृत्तियाँ एवं प्रक्रियाएँ
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विकास की बदलती अवधारणाएँ
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विकास के विभिन्न समीक्षात्मक परिप्रेक्ष्य
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विकास एवं अल्पविकास के सिद्धान्त
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विकास के पथ: पूँजीवादी, समाजवादी, मिश्रित अर्थव्यवस्था, गाँधीवादी एवं विकास के अभिकरण
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सामाजिक संरचना एवं विकास
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संस्कृति एवं विकास
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विकास के भारतीय अनुभव
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सामाजिक नीति एवं कार्यक्रम
लेखक परिचय:
डॉ. पी.सी. जैन ने जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय, उदयपुर में समाजशास्त्र विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वर्तमान में वे पेसेफिक मेडिकल विश्वविद्यालय, उदयपुर में परीक्षा नियंत्रक पद पर कार्यरत हैं। उनकी विशेष रुचि समाजशास्त्र से जुड़े जटिल विषयों को सरल और रुचिकर रूप में हिंदी माध्यम में छात्रों तक पहुँचाने में रही है। आपने ग्रामीण समाज, जनजातीय समाज, सामाजिक आंदोलन और समाजशास्त्रीय विचारकों पर हिंदी व अंग्रेजी दोनों में लेखन एवं प्रकाशन किया है।