समाजशास्त्र: अर्थ एवं उपागम (समाजशास्त्र रीडर - I) Sociology: Meaning and Approaches
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Book Details:
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Author: नरेश भार्गव, वेददान सुधीर, अरुण चतुर्वेदी और संजय लोढ़ा (Naresh Bhargava, Veddan Sudhir, Arun Chaturvedi, and Sanjay Lodha)
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Publisher: Rawat Publications
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Language: Hindi
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Edition: 2021
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ISBN: 9788131610428
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Pages: 344
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Cover: Hardcover
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Release Date: 12-08-2021
📘 About the Book:
समाजशास्त्र, समाज विज्ञान की एक प्रमुख विधा के रूप में, मानव समाज, सामाजिक संबंधों और व्यवहार के वैज्ञानिक अध्ययन का आधार प्रदान करता है। यह पुस्तक समाजशास्त्र के मूल सिद्धांतों, प्रमुख समाजशास्त्रियों के दृष्टिकोण और समाजशास्त्रीय विश्लेषण की भाषा को एकत्रित करती है। तीन खंडों में विभाजित इस संग्रह में 16 आलेख शामिल हैं, जिनमें समाजशास्त्र की मौलिक अवधारणाएँ जैसे समाज, संस्कृति, सामाजिक क्रिया, समूह, संस्था, नियंत्रण, संघर्ष और वैश्वीकरण को सरल हिंदी में प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक में टी.बी. बोटोमोर, एस.एल. दोषी, श्यामाचरण दुबे, राम आहूजा जैसे प्रतिष्ठित समाजशास्त्रियों के विचारों को हिंदी में संकलित किया गया है। यह संकलन विशेष रूप से समाजशास्त्र के विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं और शिक्षक वर्ग के लिए उपयोगी है, जो समाज की संरचना और प्रक्रियाओं को गहराई से समझना चाहते हैं।
📚 Contents at a Glance:
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समाज का अध्ययन – टी.बी. बोटोमोर
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समाजशास्त्र क्या है? – एस.एल. दोषी एवं पी.सी. जैन
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समाजशास्त्र का उदय एवं समाजशास्त्रीय विचारों का विकास – बी.पी. बडोला
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समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य – एस.एल. शर्मा
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मानव और संस्कृति – श्यामाचरण दुबे
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प्रस्थिति एवं भूमिका – एस.एल. दोषी एवं पी.सी. जैन
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सामाजिक क्रिया: अर्थ, परिभाषा एवं सिद्धान्त – सी.एल. शर्मा
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समाज – नरेंद्र कुमार सिंघी और वसुधाकर गोस्वामी
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संस्था एवं समिति – पी.सी. जैन
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सामाजिक क्रिया के तत्त्व – किंग्सले डेविस
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सामाजिक समूह – रॉबर्ट बियरस्टीड
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सामाजिक नियंत्रण – राम आहूजा
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समाजशास्त्रीय सिद्धान्त – टी.बी. बोटोमोर
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संघर्ष का सिद्धान्त – एन.के. सिंघी
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उत्तर-आधुनिकता दशा – एस.एल. दोषी
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वैश्वीकरण: अवधारणात्मक पृष्ठभूमि – नरेश भार्गव
👤 About the Editors:
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नरेश भार्गव – मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र विभाग में तीन दशकों से अधिक का शिक्षण अनुभव; वर्तमान में जनबोध संस्थान, उदयपुर के अध्यक्ष।
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वेददान सुधीर – विद्या भवन रूरल इंस्टिट्यूट, उदयपुर में पूर्व प्राध्यापक; संविधान और राजनीतिक व्यवस्था पर विशेष शोध।
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अरुण चतुर्वेदी – राजनीति विज्ञान में गहरी पकड़; कई शैक्षणिक संस्थानों में अध्यापन कार्य और शोध।
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संजय लोढ़ा – विकासशील समाज अध्ययन केंद्र से जुड़ाव; लोकतंत्र, मतदान अध्ययन और राजस्थान की राजनीति में विशेष अनुसंधान।