Samajik Shod Ki Vidhiya (Methods in Social Research) (Hindi)
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Book Details:
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Author: Harikrishna Rawat 
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Publisher: Rawat Publications 
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Language: Hindi 
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Edition: Standard Edition 
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ISBN: 9788131605677 
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Pages: 520 
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Cover: Paperback 
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Dimensions: 8.4 x 5.5 x 0.8 inches 
About the Book:
लगभग डेढ़ शताब्दी पूर्व तक मानव समाज से संबंधित ज्ञान को स्व-स्पष्ट माना जाता था और इसके पुनरवलोकन या गवेषणा की आवश्यकता महसूस नहीं की जाती थी। लेकिन जैसे-जैसे विज्ञान की विधा का विकास हुआ, यह समझ विकसित हुई कि जिस प्रकार प्राकृतिक जगत का अध्ययन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से किया जाता है, उसी प्रकार सामाजिक जगत का भी विश्लेषण वैज्ञानिक ढंग से किया जाना चाहिए। वैज्ञानिक विधि से प्राप्त ज्ञान अनुभवजन्य (Empirical) और वस्तुनिष्ठ (Objective) होता है, जो सामान्य ज्ञान और पारंपरिक ग्रंथों में उपलब्ध ज्ञान से अधिक प्रमाणिक, सटीक और विश्वसनीय होता है।
इस पुस्तक में सामाजिक शोध की उन विधियों, प्रविधियों और उपकरणों का गहन विश्लेषण किया गया है जो समाजशास्त्र सहित विभिन्न सामाजिक विज्ञानों में उपयोग में लाए जाते हैं। पुस्तक चार प्रमुख भागों में विभाजित है — ज्ञान के स्रोत, सामाजिक शोध की व्यूह-रचना, सामाजिक शोध की विधियां व उपकरण, और तथ्यों का संसाधनकरण। प्रत्येक भाग में विषय को सरल भाषा, व्यावहारिक उदाहरणों और सुव्यवस्थित अनुक्रम में प्रस्तुत किया गया है।
इसमें वैज्ञानिक पद्धति, सामाजिक शोध के तत्व, शोध डिजाइन, प्रतिचयन विधियाँ, प्रश्नावली निर्माण, अनुसूची निर्माण, प्रयोगात्मक एवं प्रक्षेपी शोध, आंकड़ों का विश्लेषण और प्रतिवेदन लेखन जैसे विषयों को विस्तार से शामिल किया गया है। शोध उपकरणों पर आधारित अध्याय पुस्तक की विशेषता हैं, जो इस विषय को व्यवहारिक बनाते हैं।
About the Author:
हरिकृष्ण रावत जी चार दशकों से भी अधिक समय तक समाजशास्त्र के अध्ययन और अध्यापन से जुड़े रहे हैं। उन्होंने अपने शैक्षिक जीवन की शुरुआत महाराजा कॉलेज, जयपुर से की, जब समाजशास्त्र कुछ ही संस्थानों में पढ़ाया जाता था। बाद में वे ब्यावर स्थित सनातन धर्म राजकीय महाविद्यालय में स्थानांतरित हुए, जहाँ उन्होंने स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर लम्बे समय तक अध्यापन किया।
प्रो. रावत ने उपाचार्य और प्राचार्य के रूप में भी कार्य किया और 1992 में सेवानिवृत्त हुए। उनके कई लेख प्रतिष्ठित शैक्षणिक पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं। उनकी चर्चित पुस्तकों में समाजशास्त्र विश्वकोश, मानवशास्त्र विश्वकोश, सामाजिक चिंतक एवं सिद्धांतकार और मानवशास्त्रीय विचारक शामिल हैं, जिन्हें पाठ्य और संदर्भ ग्रंथों के रूप में मान्यता प्राप्त है।
यह पुस्तक शोधार्थियों, समाजशास्त्र के छात्रों, शिक्षकों और सामाजिक कार्य में रुचि रखने वाले सभी पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी, मार्गदर्शक और संग्रहणीय है।
 
            
 
      
 
       
         

