Samajik Anusandhan (Social Research)
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Book Details
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Publisher: Rawat Publications
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Author: Ram Ahuja
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Language: Hindi
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Edition: 2004
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ISBN: 9788170338994
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Pages: 448
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Cover: Hardback
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Sale Territory: World
About the Book
यह पुस्तक हिंदी भाषा में सामाजिक अनुसंधान की पद्धतियों को समझाने का एक उत्कृष्ट प्रयास है। अब तक जहां अंग्रेज़ी माध्यम के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं को रिसर्च मेथड्स की पुस्तकें उपलब्ध रही हैं, वहीं हिंदी भाषी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण सामग्री की कमी महसूस होती रही है। यह पुस्तक इस आवश्यकता की पूर्ति करती है, जो पाठकों को अनुसंधान की अवधारणाओं को स्पष्ट रूप से समझने, शोध क्षमताओं को विकसित करने और गुणवत्ता युक्त निष्पादन में सहायता प्रदान करती है।
पुस्तक की भाषा सहज, सरल और स्पष्ट है, जिसमें शैक्षणिक विषयवस्तु को जटिलता से मुक्त रखते हुए प्रस्तुत किया गया है। यह स्नातकोत्तर छात्रों के लिए प्रत्यात्मक और सैद्धांतिक ज्ञान को सरल रीति से प्रस्तुत करने में सहायक होगी। साथ ही, यह उन शोधकर्ताओं के लिए भी एक प्रेरणास्रोत है, जो अनुसंधान और सिद्धांत के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैज्ञानिक और वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण अपनाकर अपने शोध की गुणवत्ता को बढ़ाना चाहते हैं।
इसमें वैज्ञानिक अनुसंधान की विशेषताओं, प्रकारों और पद्धतियों, सामाजिक सर्वेक्षण, अवधारणाओं, प्राक्कल्पनाओं, अनुसंधान अभिकल्प, प्रश्नावली, साक्षात्कार, अवलोकन, वैयक्तिक अध्ययन, विषय-वस्तु विश्लेषण, आंकड़ों का संसाधन, मापन तकनीकें, प्रतिरूप व सिद्धांत, तथा सांख्यिकीय मापों जैसे केंद्रीय प्रवृत्ति, प्रसार और साहचर्य जैसे विषयों को शामिल किया गया है। यह पुस्तक न केवल शिक्षण के लिए बल्कि अनुसंधान परियोजनाओं की रूपरेखा तैयार करने और उन्हें निष्पादित करने में भी अत्यंत उपयोगी है।
About the Author
डॉ. राम आहूजा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहे हैं। सेवा निवृत्ति के उपरांत उन्होंने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) के सीनियर फेलो के रूप में कार्य किया। उन्होंने कई राष्ट्रीय और प्रादेशिक अकादमियों तथा प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों में अतिथि वक्ता के रूप में भी योगदान दिया। उनके अकादमिक और शोध अनुभव ने उन्हें समाजशास्त्र के क्षेत्र में एक विशिष्ट पहचान दिलाई।
उन्होंने लगभग साठ शोध-पत्र एवं लेख प्रकाशित किए हैं और उनकी 19 पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। अपराधशास्त्र, सामाजिक समस्याएं और अनुसंधान उनके प्रमुख विषय रहे हैं। उन्हें उनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘अपराधशास्त्र’ पर वर्ष 1984 में गोविंदवल्लभ पंत पुरस्कार, और ‘वायलेंस अगेन्स्ट वुमन’ पुस्तक पर वर्ष 1998 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा सुप्रभा देब गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया।


