Dhan Bhav ki Gatha
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Publisher: Esha Publication
Author: R.P. Birthare
Language: Hindi
Paperback: 324 pages
ISBN-13: 9789382543657
Item Weight: 280 g
Country of Origin: India
पुस्तक विवरण:
द्वितीय भाव का महत्व: इस पुस्तक में, R.P. Birthare ने भारतीय ज्योतिष में द्वितीय भाव के महत्व को विस्तृत रूप से समझाया है। द्वितीय भाव लग्न से सटा हुआ होता है और यह चतुर्थ भाव की तरह महत्वपूर्ण होता है। यह भाव हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक चीजों का प्रतीक है, जो हमें जीवन में जीने के लिए सहारा देती हैं, जैसे परिवार, शिक्षा, संस्कार, और वाणी।
द्वितीय भाव से जुड़े महत्वपूर्ण पहलु:
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परिवार और शुरुआती शिक्षा: जन्म के बाद सबसे पहला सहारा परिवार से मिलता है, जो व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक संस्कार और प्राम्भिक शिक्षा देता है। यदि यह भाव कमजोर या पीड़ित होता है, तो व्यक्ति को अच्छे संस्कार नहीं मिलते और उसकी शिक्षा में कमी होती है।
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वाणी का प्रभाव: द्वितीय भाव वाणी से भी जुड़ा हुआ है। यदि यह भाव स्वस्थ है, तो व्यक्ति की वाणी आकर्षक और सम्मोहक होती है। वहीं, अगर यह भाव पीड़ित है, तो व्यक्ति की वाणी में विकार हो सकता है, जैसे अपशब्द बोलना या झूठ बोलना।
यह पुस्तक उन व्यक्तियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में द्वितीय भाव के प्रभावों को समझना चाहते हैं, विशेषकर परिवार, शिक्षा, और वाणी के संदर्भ में। यह ज्योतिषी और शास्त्र के छात्रों के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शिका है, जो द्वितीय भाव और उसके प्रभावों का अध्ययन करना चाहते हैं।