Aathato Bhakti Jigayasa Bhag 1
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Book Details:
Publisher: Fusion Books
Author: Yog Pratap Bharati, Anand Satyarthi
Language: Hindi
Pages: 485 (10 B/W Illustrations)
Cover: Hardcover
Dimensions: 23 cm x 16.5 cm
Weight: 800 gm
Edition: 2016
ISBN: 9798184193298
About the Book (पुस्तक के बारे में):
भक्ति का मार्ग भाव का मार्ग है, रस का मार्ग है, गीतों का मार्ग है। ॠषि शांडिल्य के भक्ति-सूत्रों पर ओशो के अद्वितीय प्रवचनों में गीते और शेरो-शायरी की सुगंध घुली हुई है, जिससे ये सूत्र अत्यंत सरस और सहज बन जाते हैं। ओशो भक्ति के सरल, स्वाभाविक मार्ग की कुंजी देते हुए कहते हैं कि सहज ही सत्य है, असहज से बचना चाहिए क्योंकि वही जटिलताएं उत्पन्न करता है।
इन सूत्रों पर गहराई से ध्यान करते हुए पाठक जीवन, प्रेम, श्रद्धा, संन्यास और अद्वैत जैसी ऊँची आध्यात्मिक अवस्थाओं तक पहुँच सकते हैं। हर एक सूत्र बहुमूल्य है, जिसकी कीमत पूरे जीवन से भी चुकाई नहीं जा सकती।
अनुक्रम:
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भक्ति जीवन का परम स्वीकार है
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जीवन क्या है?
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भक्ति परमात्मा की किरण है
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प्रीति–स्नेह–प्रेम–श्रद्धा–भक्ति
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भक्ति याने जीने का प्रारंभ
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भक्त के मिटने में भगवान का उदय
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स्वानुभव ही श्रद्धा है
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प्रीति की पराकाष्ठा भक्ति है
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अनुराग है तुम्हारा अस्तित्व
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संन्यास शिष्यत्व की पराकाष्ठा है
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भक्ति आत्यंतिक क्रांति है
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भक्ति एकमात्र धर्म
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स्वभाव यानी परमात्मा
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परमात्मा परमनिर्धारणा का नाम
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भक्ति अंतिम सिद्धि है
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धर्म आमूल बगावत है
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भक्ति अति स्वाभाविक है
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विरह क्या है?
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सब हो रहा है
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अद्वैत प्रीति की परमदशा है
उद्धरण:
“यह सुबह, यह वृक्षों में शांति, पक्षियों की चहचहाहट…या हवाओं का वृक्षों से गुजरना…यह सभी ओंकार है। ओंकार का अर्थ है सार-ध्वनि—समस्त ध्वनियों का सार। जहां भी गीत है, वहां ओंकार है; जहां भी वाणी है, वहां ओंकार है। इस जगत की उत्पत्ति ध्वनि में है, जीवन ध्वनि में है, और विसर्जन भी ध्वनि में है। प्रारंभ भी ओंकार है और अंत भी।”

