Lenin Aur Gandhi
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Author: Yashpal
Brand: Vani Prakashan
Edition: 3rd
Features:
- Vani Prakashan
Binding: hardcover
Number Of Pages: 228
Release Date: 01-12-2010
EAN: 9788181437549
Package Dimensions: 9.1 x 6.6 x 1.1 inches
Languages: Hindi
Details: लेनिन और गाँधी - रेने फ्युलॅप मिलर की लेनिन और गाँधी सन् 1927 में प्रकाशित हुई थी। आधारभूत विचारधारात्मक भिन्नता के बावजूद बीसवीं शताब्दी मुख्यतः इन दो व्यक्तियों की शताब्दी ही रही है। यूरोप ने साम्यवाद के उस मॉडल को सदैव आशंका की दृष्टि से देखा जिसकी स्थापना लेनिन के नेतृत्व में रूस में की गयी। रेने फ्युलॅप मिलर यह मानते हैं कि वह दुनिया में कहीं भी एक नये ढंग की राज्य-व्यवस्था थी जिसके मूल्यांकन के लिए कसौटी भी नयी चाहिए। गाँधी उस बोल्शेविज़्म के कटु विरोधी थे-उसमें हिंसा की भूमिका और खुली स्वीकृति को देखते हुए। इसे भी रेने फ्युलॅप मिलर छिपाते नहीं हैं कि गाँधी के बहुत से अतार्किक विचारों और जीवन में उनके अमल से उनकी सहमति नहीं है। रेने फ्युलॅप मिलर ने, एक जीवनीकार के लिए आवश्यक, गहरी आत्मीयता एवं वस्तुपरकता से दो विपरीत ध्रुवों को साधने की कोशिश की है। इन दोनों में उन्होंने कुछ ऐसे समान सूत्रों की खोज की है-दलित-वंचित जनता के प्रति गहरी संलग्नता, अदम्य आशावाद, कला की सामाजिक भूमिका, सादगी और आदर्श का समन्वय और सबसे अधिक उनकी क्रियात्मक विचारशीलता। दोनों का ही जीवन किसी किताब की तरह खुला था-किसी बड़ी और गहरी नदी के स्वच्छ और पारदर्शी पानी की तरह। यशपाल के इस अनुवाद की विशेषता उसकी विश्वसनीयता और प्रामाणिकता में है। अपने क्रान्तिकारी साथियों और स्वयं अपने अनेक गहरे मतभेदों के बावजूद गाँधी के विचार एवं दर्शन को वे कहीं विकृत नहीं करते। ज़रूरी होने पर गाँधी को वे ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक भारतीय पक्ष की तरह प्रस्तुत करते हुए पाद टिप्पणियों में उनकी अनेक बातों की सराहना करते हैं। यहाँ गाँधी उसी तरह उनके 'अपने' हैं जैसे सांडर्स द्वारा अपमानित किये जाने पर लाला लाजपत राय, अपने अनेक हिन्दू आग्रहों के बावजूद भगत सिंह और उनके साथियों के अपने थे। सांडर्स की हत्या द्वारा उनके अपमान का बदला लेकर उन्होंने भारतीय गौरव की सम्मान-रक्षा का ही उद्यम किया था। एक लम्बे अरसे के बाद, ख़ासतौर से खोयी हुई समझी जाने पर लेनिन और गाँधी का प्रकाशन यशपाल के प्रसंग में ही नहीं, हिन्दी-अनुवाद की दुनिया में भी एक ऐतिहासिक परिघटना है। - मधुरेश




