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Karpoori Thakur : Jannayak Se Bharat Ratn Tak

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Author: Harinarayan Thakur

Brand: Vani Prakashan

Edition: First Edition

Binding: Paperback

Number Of Pages: 116

Release Date: 21-11-2024

Details: "कर्पूरी ठाकुर : जननायक से भारत रत्न तक - भारत रत्न, जननायक कर्पूरी ठाकुर का व्यक्तित्व, त्याग, समर्पण और संघर्ष जितना बड़ा और महान है, उन पर स्तरीय जानकारी और प्रामाणिक पुस्तकों का उतना ही अभाव है। चर्चित लेखक और आलोचक डॉ. हरिनारायण ठाकुर की प्रस्तुत पुस्तक इसी दिशा में एक प्रामाणिक प्रयास है। लेखक ने कर्पूरीजी के जीवन के तमाम पहलुओं की छानबीन करके संक्षेप में उनके जीवन-संघर्ष और कार्यों का समीक्षात्मक ब्योरा प्रस्तुत किया है। तथ्यों, तर्कों, घटना और स्थिति-परिस्थितियों का यथार्थपरक आकलन और विश्लेषण किया गया है। पुस्तक में जुटाये गये आँकड़े और विवरण कर्पूरीजी के पुरजन-परिजनों और निकट सहयोगियों के सम्पर्क, साक्षात्कार और विभिन्न प्रामाणिक स्रोतों द्वारा सम्पुष्ट हैं। इसीलिए पुस्तक अपने आप में एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है। कर्पूरी ठाकुर ने गुलाम भारत को आज़ाद कराने में जितनी बड़ी भूमिका निभायी, उससे बड़ी भूमिका उन्होंने आज़ाद भारत में सामाजिक और आर्थिक न्याय की लड़ाई लड़कर ग़रीबों को ज़ुबान और उनका हक़-हुकूक दिलवाने में निभायी। उनका संघर्ष बहुआयामी था। वे जीवन-भर एक अथक योद्धा की तरह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विसंगतियों से लड़ते रहे। उन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी, किसान-मज़दूरों की लड़ाई लड़ी, छात्र-नौजवानों की लड़ाई लड़ी, ग़रीब-गुरबों की लड़ाई लड़ी, ऊँच-नीच, भेदभाव और गैर-बराबरी को मिटाने की लड़ाई लड़ी। उनकी हर लड़ाई संवैधानिक और लोकतान्त्रिक मूल्यों की रक्षा की लड़ाई थी। उनके पास न धनबल था, न बाहुबल; केवल जनबल के सहारे उन्होंने इतनी बड़ी लड़ाई लड़ी और बहुत हद तक सफल भी हुए। बिहार जैसे पिछड़े राज्य के सबसे पिछड़े और ग़रीब वर्ग में जन्म लेकर वे अपनी सेवा, समर्पण और त्याग की बदौलत सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचे ज़रूर, पर अपनी ईमानदारी और सामाजिक-नैतिक निष्ठा और मूल्यों की रक्षा के लिए जीवन-भर ग़रीब और अभावग्रस्त ही बने रहे। वे अपने युवाकाल से लेकर जीवन-पर्यन्त विधायक, सांसद, मन्त्री और मुख्यमन्त्री तक रहे, पर उन्होंने अपने लिए न एक धुर ज़मीन ख़रीदी और न कहीं मकान बनाया। उनके गाँव का घर 'इन्दिरा आवास योजना' से बना, जो उनके निधन के बाद ‘स्मृति-भवन’ बन गया। भारतीय इतिहास में ऐसे सेवापरायण, समर्पित, संघर्षशील और त्यागी राजनेता दुर्लभ हैं। उनके निधन के बाद उनके गाँव का नाम ‘कर्पूरी ग्राम' ज़रूर पड़ा, पर उनकी सेवा के अनुरूप उन्हें कोई सम्मान नहीं मिला। इस कमी को भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरान्त वर्ष 2024 के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न' से सम्मानित करके पूरा किया है। पुस्तक में कर्पूरीजी के समय और समाज से लेकर आज की राजनीति और समाजशास्त्र पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। डॉ. हरिनारायण ठाकुर की यह पुस्तक कर्पूरी ठाकुर : जननायक से भारत रत्न तक पाठकों और शोधकर्ताओं के लिए पठनीय और उपयोगी सिद्ध होने वाली है । - प्रकाशक "

EAN: 9789362873156

Package Dimensions: 8.4 x 5.5 x 0.4 inches

Languages: Hindi