Ghere Ke Bahar (Hindi Edition)
Ghere Ke Bahar (Hindi Edition) is backordered and will ship as soon as it is back in stock.
Couldn't load pickup availability
Genuine Products Guarantee
Genuine Products Guarantee
We guarantee 100% genuine products, and if proven otherwise, we will compensate you with 10 times the product's cost.
Delivery and Shipping
Delivery and Shipping
Products are generally ready for dispatch within 1 day and typically reach you in 3 to 5 days.
लेखक: Not Provided
प्रकाशक: Not Provided
भाषा: हिंदी
ISBN: 9789388434751
कवर: हार्ड कवर
पुस्तक के बारे में:
चले जाने से कुछ दिन पहले बाबा कहते थे- ‘कौतो कौथा बोलार छिलो, बौला होलोना’, यानी कितनी ही बातें बतानी थीं, जो बतानी नहीं हुईं। तब से मैं सोचती थी कि मैं बता कर जाऊँगी, सब नहीं तो कुछ तो-थोड़ा बहुत। यह थोड़ी बहुत आपबीती है। बहुत कुछ छूट गया जो लिख कर जाने की इच्छा है, अगर ज़िन्दगी ने इजाज़त दी और समय दिया।
कहना न होगा, ये संस्मरण मेरे हैं, बाबा के नहीं। ज़िन्दगी के तजुर्बों को हम सब अपनी तरह से जज़्ब कर लेते हैं। मगर शायद इसके बावजूद काफ़ी कुछ ऐसा होता है जो नितांत व्यक्तिगत नहीं होता। इसीलिए शायद औरों की आपबीतियों में हमें अपने जीवन की गूंज भी सुनाई देती है।
ये संस्मरण 2011 और 2012 के दरम्यान लिखे गये, मगर पाठकों के सामने अब आ रहे हैं। यह बताना इसलिए ज़रूरी है कि तब से अब के फासले में कई और घटनाएँ घटित हो गयीं। कई सहकर्मी और दोस्त जो तब (2011-2012 में) ज़िन्दा थे अब नहीं रहे। ऐसा ही अन्य कई बातों के बारे में लग सकता है। पाठकों से गुज़ारिश है कि इसे पढ़ते समय यह बात ध्यान में रखें।

