Dr Hedgewar
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उत्पाद विवरण:
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पृष्ठ: 24
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बाइंडिंग शैली: पेपरबैक
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भाषा: हिंदी
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ब्रांड: सुरुचि प्रकाशन
पुस्तक के बारे में:
यह पुस्तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के प्रेरणादायक जीवन को उजागर करती है। बचपन से ही डॉ. हेडगेवार के हृदय में देश की पराधीनता की पीड़ा इतनी प्रखर थी कि उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू कर दिया था। वे नागपुर में 'स्वदेश बंधव' और बंगाल की 'अनुशीलन समिति' जैसी क्रांतिकारी संस्थाओं के सदस्य रहे। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी थे और 1921 और 1931 के असहयोग तथा अवज्ञा आंदोलनों में अग्रणी भूमिका निभाई, साथ ही वे कारावास भी गए।
इस पुस्तक में डॉ. हेडगेवार के मौलिक चिंतन और दूरदृष्टि को प्रस्तुत किया गया है। जहां 1921 के लाहौर अधिवेशन के समय कांग्रेस के नेता केवल 'औपनिवेशिक स्वराज्य' की बात कर रहे थे, वहीं डॉ. हेडगेवार और सुभाष चंद्र बोस ने पूर्ण स्वराज्य की बात उठाई। इस पुस्तक का मुख्य आकर्षण डॉ. हेडगेवार का 1935 में पुणे में तरुण स्वयंसेवकों के समक्ष दिया गया भाषण है, जो उनके चिंतन और दृष्टिकोण का परिचायक है और एक प्रेरणा स्रोत के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

